अब भाजपा नेताओं के घरों के बाहर भी धरना देंगे किसान, जोर पकड़ता जा रहा आंदोलन
यूनियन किसानों के दिल्ली चलो आह्वान को समर्थन देते हुए टोल प्लाजा पर भी विरोध प्रदर्शन करेगी। प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से MSP के लिए कानूनी गारंटी समेत अपनी विभिन्न मांगों को रखा गया है।
दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं के पास जारी किसानों का प्रदर्शन जोर पकड़ता जा रहा है। आज किसानों के विरोध प्रदर्शन का 5वां दिन है। भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) शनिवार को पंजाब में भाजपा के 3 सीनियर नेताओं के घरों के बाहर धरना देगी। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, बीजेपी की पंजाब यूनिट के चीफ सुनील जाखड़ और सीनियर नेता केवल सिंह ढिल्लों के आवासों के बाहर धरना होगा। इसके अलावा, यूनियन किसानों के 'दिल्ली चलो' आह्वान को समर्थन देते हुए टोल प्लाजा पर भी विरोध प्रदर्शन करेगी। प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से MSP के लिए कानूनी गारंटी समेत अपनी विभिन्न मांगों को रखा गया है।
सरकार पर दबाव बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के 'भारत बंद' आह्वान पर शुक्रवार को पंजाब में सड़कों से बसें नदारद रहीं, जिसके चलते यात्रियों को काफी असुविधा हुई। राज्य में कई स्थानों पर बाजार और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे। किसानों ने कई स्थानों पर प्रदर्शन किया और पठानकोट, तरनतारन, बठिंडा और जालंधर में राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया। उन्होंने उनकी मांगें नहीं मानने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। हरियाणा के हिसार में, हरियाणा रोडवेज के कर्मचारियों ने 'भारत बंद' का समर्थन किया, जिसके चलते बस सेवाएं ठप रहीं। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के सदस्यों ने हरियाणा के कई टोल प्लाजा पर धरना दिया और अधिकारियों पर यात्रियों से टोल टैक्स न वसूलने के लिए दबाव डाला।
MSP के लिए कानूनी गारंटी के अलावा ये मांगें
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, 'हम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने, ऋण माफी आदि मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।' दिल्ली कूच की योजना को लेकर पूछे गए सवाल पर टिकैत ने कहा कि शनिवार को सिसौली (मुजफ्फरनगर) में बैठक की जाएगी, जहां भविष्य की रणनीति की योजना बनाई जाएगी। MSP के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कृषकों के कल्याण के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व खेत मजदूरों के लिए पेंशन और कर्ज माफी, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)