सेना का एयर डिफेंस हुआ बेजोड़, आकाशतीर सिस्टम करेगा हिफाजत; क्यों हांफने लगे दुश्मन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने बीईएल के साथ इस सिस्टम को डेवलप करने के लिए 1982 करोड़ रुपये का करार किया था। इस एयर डिफेंस सिस्टम में सेंसर और रडार नेटवर्क लगे हुए हैं।
भारतीय सेना अपनी ताकत को और ज्यादा बढ़ाने की कोशिशों में लगातार जुटी हुई है। इसी कड़ी में, सेना ने एयर डिफेंस को मजबूत के लिए 'प्रोजेक्ट आकाशतीर' के तहत कंट्रोल एंड रिपोर्टिंग सिस्टम को शामिल करना शुरू कर दिया है। इस सिस्टम की तैनाती गुरुवार को बीईएल गाजियाबाद से कंट्रोल सेंटर्स के पहले बैच को हरी झंडी दिखाने के साथ शुरू हुई। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) की ओर से यह तकनीक विकसित की गई है। इस प्रोजेक्ट का मकसद सेना के वायु रक्षा तंत्र की ऑपरेशन क्षमता को बढ़ाना है। एक सूत्र ने कहा, 'आकाशतीर प्रोजेक्ट एक अत्याधुनिक पहल है जिससे पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का लक्ष्य है। इसे एयर डिफेंस कंट्रोल एंड रिपोर्टिंग प्रोसेस को ऑटोमेटिक करने के लिए डिजाइन किया गया है।'
रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने बीईएल के साथ इस सिस्टम को डेवलप करने के लिए 1982 करोड़ रुपये का करार किया था। इस एयर डिफेंस सिस्टम में सेंसर और रडार नेटवर्क लगे हुए हैं, जो दुश्मन के विमान, जेट, हेलिकॉप्टर, ड्रोन व मिसाइलों को लेकर तुरंत अलर्ट जारी करते हैं। इससे मिलने वाले अलर्ट के आधार पर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और रॉकेट्स को जोड़ा जा सकता है। खास बात यह है कि इसके अलर्ट थलसेना और वायुसेना दोनों को मिलते हैं। ऐसे में दुश्मन के हमले के खिलाफ तुरंत प्रतिक्रिया देना आसान हो जाएगा। देश की सुरक्षा के लिहाज से इसे एक अहम कामयाबी समझा जा रहा है।
देश भर में आपात हवाई पट्टियों का जाल बिछाने की योजना
दूसरी ओर, वायु सेना अपने विमानों को आपात स्थिति में कहीं भी उतारने के लिए देश भर में विभिन्न राज्यों में आपात हवाई पट्टी सुविधाओं का जाल बिछाने पर काम कर रही है। वायु सेना ने गगन शक्ति अभ्यास के दौरान पिछले सप्ताह ही कश्मीर घाटी में उत्तरी सेक्टर में इसी तरह का करतब दिखाया था। यहां आपातकालीन हवाई पट्टी पर चिनूक हेलिकॉप्टर, एम आई 17 और उन्नत हल्के ध्रुव हेलिकॉप्टर को उतारकर बड़ी संख्या में सैनिकों को वहां पहुंचाया गया। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि वायु सेना की विभिन्न राज्य सरकारों के प्रशासन के साथ तालमेल से देश भर में इस तरह की आपात हवाई पट्टी की सुविधा बनाने की योजना है। इन हवाई पट्टियों पर वायु सेना के लड़ाकू विमानों तथा हेलिकॉप्टरों को उतारने का अभ्यास किया जाएगा।