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वो हिंदू राष्ट्र के नाम पर...कर्मचारियों को RSS से जुड़ने की मंजूरी से भड़के ओवैसी; याद आए पटेल और नेहरू

आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया है। इस फैसले को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया है और अपनी आपत्ति भी जताई है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 22 July 2024 01:06 PM
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आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया है। इस फैसले को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र के नाम शपथ लेने वाले संगठनों से कर्मचारियों के जुड़ने का फैसला गलत है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल और नेहरू ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया था। बाद में जब आरएसएस तिरंगे और संविधान के सम्मान के लिए सहमत हुआ तो यह उनके ऊपर से प्रतिबंध हटाया गया। गौरतलब है कि भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी आदेश का स्क्रीनशॉट साझा किया। इसमें कहा कि 58 साल पहले जारी एक असंवैधानिक निर्देश को नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने वापस ले लिया है।

ओवैसी ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस से प्रतिबंध कुछ शर्तों को लेकर उठाया गया गया था। उन्होंने कहा कि संघ इस बात पर सहमत हुआ था कि वह भारत के संविधान का सम्मान करेंगे। वह भारत के तिरंगे झंडे का सम्मान करेंगे। ओवैसी ने आगे कहा कि उन्होंने लिखित में अपना संविधान दिया था, जिसमें कई शर्तें थीं। इसमें यह भी शामिल था कि आरएसएस कभी राजनीति में हिस्सा नहीं लेगा। एआईएमआईएम सांसद ने कहा कि आज भाजपा-एनडी सरकार इस बात की इजाजत दे रही है कि सरकारी कर्मचारी आरएसएस के कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। आरएसएस की सदस्यता फॉर्म पर ही लिखा है कि वह लोग भारत की विविधता में भरोसा नहीं करते। यह लोग हिंदू राष्ट्र के नाम पर शपथ लेते हैं। उन्होंने आगे यह भी कहा कि क्या इंडिया गठबंधन के लोग इस पर सवाल पूछेंगे।

बता दें कि कांग्रेस ने भी इसको लेकर सवाल उठाया है। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा नौ जुलाई को जारी एक कार्यालय ज्ञापन साझा किया, जो आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से संबंधित है। उक्त आदेश में कहा गया है कि उपर्युक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए। उन्होंने पोस्ट में कहा कि 1966 में आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही निर्णय भी था। यह 1966 में प्रतिबंध लगाने के लिए जारी किया गया आधिकारिक आदेश है।

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