आगरा एक्सप्रेस वे हादसा: ड्राइवर की झपकी ने उजाड़ दिए 29 परिवार
बस ड्राइवर की एक झपकी ने 29 परिवार को उजाड़ दिया। इन परिवारों के लिए सोमवार दिन काला दिन साबित हुआ। आग की तरह फैली बस हादसे की सूचना से घरों में पहाड़ टूट गया। बस में ड्राइवर कंडक्टर समेत 52 लोग सवार...
बस ड्राइवर की एक झपकी ने 29 परिवार को उजाड़ दिया। इन परिवारों के लिए सोमवार दिन काला दिन साबित हुआ। आग की तरह फैली बस हादसे की सूचना से घरों में पहाड़ टूट गया। बस में ड्राइवर कंडक्टर समेत 52 लोग सवार थे। इनमें सात यात्री लखनऊ के थे बाकी अन्य जनपदों से बस पकड़ने आलमबाग बस टर्मिनल पहुंचे थे। घटना स्थल पर ड्राइवर सहित 29 के शव मिले, जबकि बस कंडक्टर समेत 23 यात्री गंभीर रूप से घायल हुए है। इनमें एक बच्ची और एक महिला शामिल है।
दरअसल, बीते रविवार की शाम कैसरबाग स्थित अवध बस डिपो से एसी जनरथ बस फिटनेस के बाद भेजी गई। इस बस को रात दस बजे आलमबाग बस टर्मिनल से कानपुर होकर गाजीपुर जाना था। बस में मात्र दो यात्री थे। इस वजह से रात सवा दस बजे इस बस दिल्ली भेज दिया गया। खास बात यह है कि नियमित बस चालक तीन दिन की छुट्टी से लौटा था। किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं था। बशर्ते इतना जरूर था कि रोजाना इस रूट पर जाने वाला संविदा ड्राइवर विपिन छुट्टी पर था। इस ड्राइवर के लिए यह रास्ता नया था। इसके पहले आगरा एक्सप्रेस वे होते हुए यमुना एक्सप्रेस के रास्ते दिल्ली नहीं गया था। जानकारी के मुताबिक ड्राइवर नशे में नहीं था। मोबाइल पर बात भी नहीं कर रहा है। ऐसे में तड़के साढ़े चार से पांच के बीच ड्राइवर को नींद आई और बस अनियंत्रित होकर एत्मादपुर के पास झरने के नाले में रेलिंग तोड़ते हुए बस जा गिरी।
ड्यूटी नियम से खिलवाड़ कर रहे थे अफसर
बस में ड्राइवर कंडक्टरों की ड्यूटी नियमों से रोडवेज के अफसर खिलवाड़ कर रहे है। नियम यह है कि चार सौ किलोमीटर से अधिक की दूरी पर दो ड्राइवर रूट पर भेजे जाएंगे। लखनऊ से दिल्ली जा रही बस औसतन छह सौ किलोमीटर की दूरी तय करती। बावजूद इस बस को एक ड्राइवर के भरोसे भेजा गया।
क्या है ड्यूटी का नियम
-नियमित चालक परिचालकों को रोजाना आठ घंटे बस संचालन के साथ माह में 25 दिन की ड्यूटी
-हर आठ घंटे बस संचालन ड्यूटी के बाद 12 घंटे आराम करके पुन: ड्यूटी का है नियम
-संविदा चालक परिचालकों को हर माह तय किलोमीटर व 22 दिन की ड्यूटी पर फिक्स वेतन
- संविदा चालक 22 दिन की ड्यूटी व 5000 किलोमीटर
- संविदा परिचालक 24 दिन ड्यूटी 6000 किलोमीटर
वर्ष में एक बार होती है बसों की फिटनेस
यात्री वाहनों की फिटनेस दो तरह से होते है। यह जानकारी देते हुए आरटीओ कार्यालय के यातायात पथ निरीक्षक सर्वेश चतुर्वेदी बताते है कि नए वाहनों का शुरूआत में दो वर्ष बाद फिटनेस होता है। इसके बाद वर्ष में एक बार फिटनेस करना पड़ता है। फिटनेस में हेडलाइट, ब्रेक, रिफ्लेक्टर टेप, वाइपर के अलावा बसों की भैतिक दशा देखकर फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। हादसे वाली बस नई थी। जिसका शुरूआती फिटनेस बीते एक अप्रैल 2019 को हुआ था जिसकी वैधता 31 मार्च 2021 तक थी।
ड्राइवरों के आंखों की रोशनी भगवान भरोसे
नियम यह है कि वर्ष में दो बार कैंप लगाकर ड्राइवर के आंखों की जांच की जाए। बीते तीन वर्षो पर मात्र तीन बार शिविर लगाकर ड्राइवर की जांच की गई। जिसमें डॉक्टरों की रिपोर्ट में कई चालकों को मोतियाबिंद मिला। वहीं जांच में ऐसे भी ड्राइवर मिले जिन्हें दूर का दिखाई नहीं दे रहा था तो किसी को नजदीक का। ऐसे में रोडवेज अफसरों की एक और लापरवाही से ड्राइवरों के आंखों की रोशनी भगवान भरोसे है।
गोंडा व बस्ती के थे ड्राइवर-कंडक्टर
मृतक बस ड्राइवर (नियमित) कृपा शंकर चौधरी उम्र 50 निवासी ग्राम-गिधार, पोस्ट-भिटेहरा जिला बस्ती व घायल-बस कंडक्टर (संविदा) असनीश मिश्रा ग्राम बालापुर, पोस्ट, शिवदयालपुर, जिला गोंडा के रहने वाले थे। मृतक ड्राइवर कुछ दिन पहले बस्ती से तबादला कराकर लखनऊ के अवध बस डिपो में तैनाती मिली थी।