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'जाम में फंसी एंबुलेंस और दूसरी लेन सेना के लिए खाली', श्रीनगर के सांसद रक्षा मंत्रालय पर भड़के

  • रूहुल्ला मेहदी ने सवाल किया, ‘क्या रक्षा मंत्री को यह बताने में खुशी होगी कि श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे पर सेना या अर्धसैनिक बल के लिए हर कुछ किलोमीटर बाद कई स्थानों पर यातायात को रोक दिया जाता है, आखिर ऐसा क्यों है?’

Niteesh Kumar हिन्दुस्तान टाइम्स, आशिक हुसैनSun, 1 Dec 2024 05:36 PM
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद रूहुल्ला मेहदी ने केंद्र सरकार पर संसद में झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने ऐसी तस्वीर पोस्ट की जिसमें सड़क के एक ओर गाड़ियों का जाम लगा है। इनके बीच एंबुलेंस फंसी हुई है। ध्यान देने वाली बात है कि दूसरी लेन खाली है और उससे सेना का काफिला गुजर रहा है। इसे देखकर भड़के रूहुल्ला ने लिखा, 'लोगों का उत्पीड़न बंद कीजिए।' उन्होंने कहा कि इस उत्पीड़न पर संसद में मेरे सवाल का केंद्र ने जो जवाब दिया, वह सरासर झूठ है। मैंने भारत सरकार से सुरक्षा बलों के काफिले की आवाजाही के दौरान श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर लोगों के उत्पीड़न और एंबुलेंस सहित यातायात को बाधित करने से रोकने के लिए कहा था। इसे लेकर उनकी जो प्रतिक्रिया आई, वह सरासर झूठ से भरी है।'

रूहल्ला मेहदी ने सवाल किया, 'क्या रक्षा मंत्री को यह बताने में खुशी होगी कि श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाईवे पर सेना या अर्धसैनिक बल के लिए हर कुछ किलोमीटर बाद कई स्थानों पर यातायात को रोक दिया जाता है, आखिर ऐसा क्यों है? क्या यह भी तथ्य नहीं कि सामान्य यातायात के अलावा एंबुलेंस को भी सुरक्षा बलों की ओर से रोका जाता है?' उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो इस अपमानजनक प्रथा को रोकना चाहिए। इसके लिए सरकार की ओर से उठाए गए या प्रस्तावित कदमों के बारे में जानकारी दें। क्या इससे मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं होता है?

रक्षा मंत्रालय ने क्या दिया था जवाब

मालूम हो कि लोकसभा में इस सवाल पर रक्षा मंत्रालय की ओर से जवाब दिया गया था। इसमें कहा गया कि सेना अभ्यास के हिस्से के रूप में जम्मू और श्रीनगर के बीच प्रशासनिक कारणों से काफिले की नियमित आवाजाही होती है। भारतीय सेना की ओर से काफिले के आवागमन के लिए तय प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है। इस दौरान जनता की सुगम आवाजाही पर पूरा जोर दिया जाता है। सुरक्षा कारणों और काफिले पर हमले जैसी घटनाओं को विफल करने के लिए कुछ कदम उठाए जाते हैं। इसके तरहत, किसी भी सुरक्षा बल के काफिले की आवाजाही से पहले रोड ओपनिंग पार्टियों को बाहर भेजा जाता है। भारतीय सेना की ओर से नेशनल हाईवे पर किसी भी नागरिक को परेशान नहीं किया जाता। एंबुलेंस को हमेशा ही आवाजाही के लिए प्राथमिकता दी जाती है। सुरक्षा बल उन्हें कहीं भी नहीं रोकते हैं।

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