निहंगों का डर, रातों-रात हो गई केसरगढ़ साहिब के जत्थेदार की ताजपोशी; दरबार साहिब से नहीं पहुंची दस्तार
- ज्ञानी कुलदीप सिंह को सोमवार तड़के ही केसरगढ़ साहिब का जत्थेदार नियुक्त कर दिया गया। विरोध के डर से तय समय से पहले ही उनकी ताजपोशी कर दी गई है।

निहंगों और अन्य सिख संगठनों के विरोध के बावजूद सिख गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी (SGPC) ने ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज को तख्त केसरगढ़ साहिब, श्री आनंदपुर साहिब का जत्थेदार नियुक्त कर दिया गया है। निहंगों और विरोध के डर से तड़के करीब पौने तीन बजे ही उनकी ताजपोशी कर दी गई। जबकि ताजपोशी के समारोह का समय दिन में रखा गया था। इस पूरे कार्यक्रम से दरबार साहिब अमृतसर के प्रमुख ग्रंथी ने भी दूरी बना ली। उन्होंने ताजपोशी के लिए दस्तार तक नहीं भेजी। ज्ञानी कुलदीप सिंह को अकाल तख्त के भी कार्यकाली जत्थेदार का जिम्मा दिया गया है।
शिरोमणि अकाली दल इस फैसले के खिलाफ है। वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया और कुछ अन्य ने अकाल तख्त और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदारों की बर्खास्तगी की कड़ी निंदा की थी। शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) और पार्टी के फैसलों के खिलाफ कुछ नेताओं द्वारा जारी बयानों और वीडियो को गंभीरता से लिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी अकाल तख्त और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के दो जत्थेदारों को हटाए जाने की निंदा करते हुए कहा था कि यह प्रतिशोध की कार्रवाई लगती है। अमृतसर में अकाल तख्त और रूपनगर जिले के आनंदपुर साहिब स्थित तख्त श्री केसगढ़ साहिब सिख धर्म की पांच शीर्ष धार्मिक संस्थाओं में शामिल हैं।
एसजीपीसी के इस कदम पर पूछे गए सवाल के जवाब में मान ने कहा था, “देखिए, यह धार्मिक मामला है। होना तो यह चाहिए था कि राजनीति, धर्म से सीखे। लेकिन हो यह रहा है कि राजनीति, धर्म सिखा रही है। ” मान ने सुखबीर सिंह बादल समेत शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेताओं का जिक्र करते हुए कहा, “आपने अपनी सारी गलतियों को स्वीकार किया और यहां तक कि ‘तनखाह’ (धार्मिक दंड) भी लिया। अब आप कहते हैं कि हम जत्थेदारों को हटा देंगे। यह एक तरह की बदलखोरी लगती है।”
सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने पिछले वर्ष दो दिसंबर को बादल समेत शिअद नेताओं को 2007 से 2017 तक पंजाब में उनकी सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के लिए धार्मिक दंड सुनाया था। ज्ञानी रघबीर सिंह, ज्ञानी सुल्तान सिंह और ज्ञानी हरप्रीत सिंह उन पांच सिंह साहिबानों (सिख जत्थेदारों) में शामिल थे, जिन्होंने यह सजा सुनाई थी। ज्ञानी हरप्रीत सिंह को 10 फरवरी को तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार के पद से हटा दिया गया था। (एजेंसियों से इनपुट्स के साथ)
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