Hindi Newsदेश न्यूज़S Jaishankar says donald Trump admin played key role in Quad upgrade to get support

डोनाल्ड ट्रंप के आने से क्वाड का क्या होगा? जयशंकर के जवाब ने कैसे पाकिस्तान-चीन की बढ़ाई टेंशन

  • एस जयशंकर ने कहा, ‘राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2017 में क्वाड को फिर से जिंदा किया गया। इस समूह के आगे बढ़ने के लिए अमेरिकी नेता श्रेय के पात्र हैं।’

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 6 Dec 2024 09:00 PM
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्वाड संगठन के संभावित भविष्य को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से क्वाड के लिए समर्थन कम होने संभावना नहीं है, क्योंकि उनके पहले कार्यकाल में इस समूह को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिली थी। मालूम हो कि QUAD देशों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका शामिल हैं। जयशंकर ने भारत-जापान फोरम में कहा कि क्वाड लगातार बढ़ रहा है और अंतर-सरकारी समन्वय के लिए सबसे अहम तंत्रों में से एक है। क्वाड को अमेरिका से लगातार मिलता समर्थन पाकिस्तान और चीन की टेंशन बढ़ा सकता है।

एस जयशंकर ने कहा, 'राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2017 में क्वाड को फिर से जिंदा किया गया। इस समूह के आगे बढ़ने के लिए अमेरिकी नेता श्रेय के पात्र हैं। 2017 ट्रंप प्रशासन का पहला साल था जब क्वाड उपमंत्री के स्तर पर शुरू हुआ। 2019 में ट्रंप के कार्यकाल के दौरान ही यह विदेश मंत्री के स्तर तक चला गया।' जयशंकर ने कहा कि ट्रंप प्रशासन से ऐसी उम्मीद रखने का हमारे पास कारण भी हैं। वे कहेंगे कि हमने जब पहली बार इसे सहारा दिया तो काफी अच्छा रहा। इसलिए हमें इसे आगे जारी रखना चाहिए।

'क्वाड में किसी तरह के बोझ की बात ही नहीं'

क्या गठबंधन में रहकर अमेरिका किसी तरह का बोझ साझा करता है? इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने ट्रंप के विचारों का जिक्र करते कहा, 'ऐसे तर्क क्वाड पर बिल्कुल भी लागू नहीं होते हैं। क्वाड ऐसा संगठन है जहां हर कोई अपने उचित हिस्से का भुगतान करता है।' हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर क्वाड क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समावेशी विकास सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जयशंकर ने कहा कि क्वाड आगे बढ़ रहा है। इसका एजेंडा इसे आज के समय में सबसे व्यापक अंतर-सरकारी समन्वय में से एक बनाता है।

लद्दाख में सैनिकों की वापसी पर क्या कहा

पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद चीन के साथ भारत के संबंधों पर जयशंकर ने सैनिकों को पीछे हटाने के हालिया समझौते के कार्यान्वयन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के संबंध में चुनौतियां बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन के साथ हमारा पूरा संबंध इस तथ्य पर आधारित था कि सीमा क्षेत्र शांतिपूर्ण और स्थिर रहेंगे। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए समझौते किए थे। 2020 में चीन ने सीमा क्षेत्रों में बहुत अधिक सुरक्षा बल लाने का विकल्प चुना। जाहिर है कि हमने जवाबी तैनाती के साथ जवाब दिया।’

'हमारे सामने अब भी चुनौतियां बाकी'

सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इसमें करीब साढ़े 4 साल लग गए। उन्होंने कहा, ‘हमारे सामने अब भी चुनौतियां बाकी हैं। हमें अभी भी तनाव कम करना है, क्योंकि हमने नजदीकी इलाकों से सेनाओं को हटाया है।’ एस जयशंकर ने कहा कि अब ध्यान तनाव कम करने पर होगा क्योंकि क्षेत्र में अब भी बहुत बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। उन्होंने कहा, ‘अब हमें चीन के साथ बैठकर चर्चा करनी होगी कि हम अपने संबंधों को कैसे फिर से आगे बढ़ा सकते हैं। यह एक ऐसी कवायद है जिसे अभी शुरू किया जाना है।’ भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था। उस वर्ष जून में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प के चलते दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव पैदा हो गया।
(एजेंसी इनपुट)

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