आरजी कर केस: पीड़िता के पिता बोले- ममता बनर्जी अब आगे कुछ न करें, जमकर भड़के
- मृतका के परिजन ने सोमवार को कहा कि वे दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि मामले की जांच अधूरे मन से की गई और अपराध में शामिल कई अन्य अपराधियों को बचा लिया गया।
आरजी कर बलात्कार और हत्याकांड के आरोपी संजय रॉय को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसपर पीड़िता डॉक्टर के परिवार नाराज हैं। हालांकि, उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से 'कुछ नहीं करने' की अपील की है। साथ ही उन्होंने सबूतों के साथ छेड़छाड़ के आरोप भी उनपर लगाए हैं। बीते साल 9 अगस्त को 32 साल की ट्रेनी डॉक्टर की रेप कर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, पीड़िता के पिता ने कहा, 'हमें कल आदेश की कॉपी मिलने दीजिए, हम इसे देखेंगे और तय करेंगे कि हम क्या करना चाहते हैं। उन्हें (सीएम ममता बनर्जी) को जल्दबाजी में कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। आज तक मुख्यमंत्री ने जो भी किया है, उन्हें आगे कुछ नहीं करना चाहिए।' यह कहते हुए कि उम्रकैद इसलिए दी गई, क्योंकि सीबीआई उचित सबूत नहीं दे सकी, पीड़िता के पिता ने कहा, 'वह बहुत कुछ कह सकते हैं, लेकिन उन्होंने सिर्फ सबूतों से छेड़छाड़ की है...। तत्कालीन सीपी और अन्य लोगों ने उनसे छेड़छाड़ की। क्या ये सब उन्हें शुरुआत से नजर नहीं आया।'
ऊपरी अदालत जाएंगे परिजन
मृतका के परिजन ने सोमवार को कहा कि वे दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि मामले की जांच अधूरे मन से की गई और अपराध में शामिल कई अन्य अपराधियों को बचा लिया गया। उन्होंने कहा कि वे न्याय के लिए ऊपरी अदालत में जाएंगे।
मृत महिला चिकित्सक की मां ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, 'हम स्तब्ध हैं। यह कैसे यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में नहीं है। ड्यूटी पर तैनात एक चिकित्सक को बलात्कार के बाद मार डाला गया। हम निराश हैं। इस अपराध के पीछे बड़ा षड़यंत्र था।' पीड़िता के पिता ने कहा कि वे तब तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, जब तक कि अन्य सभी अपराधियों को भी सजा नहीं मिल जाती।
ममता बनर्जी ने क्या कहा
सीएम बनर्जी ने निचली अदालत के फैसले पर गहरी नाराजगी और हैरानी जताई। उन्होंने अदालत का फैसला आने के बाद कहा कि यह मामला दुर्लभ से दुर्लभतम’ मामलों में से एक था और अदालत का यह निर्णय इस दृष्टिकोण से बिल्कुल मेल नहीं खाता कि आरोपी को कड़ी सजा दी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला बेहद निराशाजनक था और इस मामले को ‘दुर्लभतम’ मामलों में गिना जाना चाहिए था, जिसमें दोषी को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर लिखा, 'हम इस सबसे जघन्य और संवेदनशील मामले में फांसी की सजा चाहते हैं और इस पर जोर देते हैं। हाल ही में, पिछले तीन-चार महीनों में, हम इस तरह के अपराधों में दोषियों के लिए फांसी या अधिकतम सजा सुनिश्चित करने में सक्षम रहे हैं तो फिर, इस मामले में फांसी की सजा क्यों नहीं दी गई?'
बनर्जी ने कहा, 'मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह एक जघन्य अपराध है जिसके लिए मृत्युदंड दिया जाना चाहिए। हम अब उच्च न्यायालय में दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग करेंगे।'
क्या था फैसला
सियालदह की अदालत ने मृत्युदंड के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला 'दुर्लभ में से दुर्लभतम' अपराध की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने रॉय पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और राज्य सरकार को मृतक चिकित्सक के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
जज ने रॉय से कहा, 'मैं आपको आजीवन कारावास की सजा सुना रहा हूं, अर्थात आपके जीवन के अंतिम दिन तक कारावास। यह सजा पीड़िता के साथ बलात्कार के दौरान उसे चोट पहुंचाने के लिए है, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई...।' रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 (बलात्कार), 66 (मृत्यु का कारण बनने की सजा) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया था।
(एजेंसी इनपुट के साथ)