धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने नहीं दे सकते, 'इमरजेंसी' की रिलीज पोस्टपोन होने पर सरकारी सूत्र
- आपातकाल के दौर पर बनने वाली फिल्म इमरजेंसी को सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट नहीं मिला है। इसकी रिलीज डेट पोस्टपोन कर दी गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, सरकार ने कहा है कि धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती।
आपातकाल के दौर पर बनी वाली फिल्म "इमरजेंसी" की रिलीज को फिलहाल पोस्टपोन दिया गया है। "इमरजेंसी" को अभी तक सेंसर बोर्ड से कोई सर्टिफिकेट नहीं मिला है। फिल्म की टीम ने बिना सेंसर बोर्ड से परमीशन लिए पहले ही फिल्म की रिलीट डेट तय कर दी थी, लेकिन अब बोर्ड की परमीशन के बिना इसकी रिलीज फिलहाल स्थगित कर दी गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस मामले पर सरकार नहीं चाहती की किसी भी तरह से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। सेंसर बोर्ड की तरफ से इसमें कुछ कट्स लगाने की बात भी कही गई है।
इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि कुछ धार्मिक संगठनों ने इस फिल्म को लेकर अपनी चिंता जताते हुए कहा है कि इस फिल्म से उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा सकती है। फिल्म में कुछ संवेदनशील सामग्री है। इस फिल्म को अभिनेत्री से नेत्री बनी कंगना राणावत ने डायरेक्ट किया है और उन्होंने ही इसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। इस फिल्म रिलीज तारीख को पहले भी कई बार टाला जा चुका है और अब इसे स्थगित कर दिया गया है।
कंगना ने किया था दावा, सेंसर बोर्ड के सदस्यों को मिली थी धमकी
फिल्म को सेंसर बोर्ड से परमीशन न मिलने के कुछ दिन पहले ही भाजपा सांसद कंगना ने दावा किया था कि सेंसर बोर्ड के सदस्यों को धमकी मिली है कि अगर उन्होंने फिल्म को क्लीयरेंस दी तो अच्छा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मुझे भी जान से मारने की धमकी मिली हैं। कंगना ने इस फिल्म को लेकर कहा था कि कुछ लोग चाहते हैं कि इसमें मैं इंदिरा जी हत्या, पंजाब आंदोलन, ऑपरेशन ब्लू स्टार न दिखाऊं, तो फिर मुझे समझ नहीं आता कि दिखाने के लिए बचेगा क्या?
ट्रेलर आने के बाद से ही शुरू हो गया था फिल्म पर विवाद
फिल्म को लेकर विवाद कुछ हफ्ते पहले शुरू हुआ था, जब 14 अगस्त को इस फिल्म का ट्रेलर जारी किया गया था। इस ट्रेलर में खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन के नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित किया जिसने कांग्रेस को अलग सिख राज्य के बदले वोट दिलाने का वादा किया। इस ट्रेलर को देखने के बाद लोगों ने कहा कि इसमें अकाल तख्त पर बमबारी और ब्लू स्टार के परिणामस्वरूप हुई मौतों जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं को ना दिखाकर केवल एक ही पक्ष दिखाया है।
इसके बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने सेंसर बोर्ड और सूचना प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखकर फिल्म की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया। संगठन ने आरोप लगाया कि इसमें सिख धर्म को गलत तरीके से प्रदर्शित किया गया है। संगठन को डर है कि इससे धार्मिक नफरत फैल सकती है।