धर्म का मतलब बस नफरत की राजनीति, निशिकांत दुबे पर पूर्व CEC एसवाई कुरैशी का पलटवार
- पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को उनके मुस्लिम आयुक्त वाले बयान पर जवाब देते हुए कहा है कि कुछ लोगों के लिए धार्मिक पहचान का मतलब ही नफरत की राजनीति रह गया है।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के ‘मुस्लिम आयुक्त’ वाले बयान पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस वाई कुरैशी ने सोमवार को कहा कि वह भारत के ऐसे विचार में विश्वास करते हैं, जहां व्यक्ति की पहचान उसके योगदान से होती है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद दुबे के बयानों पर पलटवार करते हुए यह भी कहा कि ‘कुछ लोगों के लिए, धार्मिक पहचान उनकी नफरत वाली राजनीति को आगे बढ़ाने का मुख्य आधार है।’
कुरैशी ने कहा कि भारत हमेशा अपनी संवैधानिक संस्थाओं और सिद्धांतों के लिए खड़ा रहा है, खड़ा है और खड़ा रहेगा तथा लड़ता रहेगा। कुरैशी ने कहा, ‘मैंने निर्वाचन आयुक्त के संवैधानिक पद पर अपनी पूरी क्षमता से काम किया है और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में मेरा लंबा और संतोषजनक कॅरियर रहा। मैं भारत के ऐसे विचार में विश्वास करता हूं, जहां व्यक्ति को उसकी प्रतिभा और योगदान से परिभाषित किया जाता है, न कि उसकी धार्मिक पहचान से।’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन मुझे लगता है कि कुछ लोगों के लिए, धार्मिक पहचान उनकी नफरत वाली राजनीति को आगे बढ़ाने का मुख्य आधार है। भारत हमेशा अपनी संवैधानिक संस्थाओं और सिद्धांतों के लिए खड़ा रहा है और खड़ा रहेगा, लड़ता रहेगा।’ CJI के खिलाफ अपनी टिप्पणी से विवाद खड़ा करने के बाद, भाजपा सांसद दुबे ने रविवार को पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) कुरैशी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह निर्वाचन आयुक्त नहीं बल्कि ‘मुस्लिम आयुक्त’ थे।
कुरैशी ने कुछ दिन पहले ही वक्फ (संशोधन) अधिनियम की आलोचना करते हुए इसे ‘मुसलमानों की भूमि हड़पने की सरकार की भयावह और बुरी योजना’ करार दिया था। कुरैशी जुलाई 2010 से जून 2012 तक भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे। कुरैशी ने 17 अप्रैल को एक्स पर कहा था, ‘वक्फ अधिनियम निस्संदेह मुस्लिम भूमि हड़पने की सरकार की एक भयावह और बुरी योजना है। मुझे यकीन है कि उच्चतम न्यायालय इस पर सवाल उठाएगा। शरारतपूर्ण प्रचार तंत्र द्वारा फैलाई गई गलत सूचना ने अपना काम बखूबी किया है।’
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दुबे ने कहा, ‘आप निर्वाचन आयुक्त नहीं थे, आप मुस्लिम आयुक्त थे। झारखंड के संथाल परगना में आपके कार्यकाल में सबसे अधिक बांग्लादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाया गया।’ उन्होंने कहा, ‘पैगंबर मुहम्मद का इस्लाम 712 में भारत आया था। उससे पहले यह भूमि (वक्फ) हिंदुओं या उस धर्म से जुड़े आदिवासियों, जैनियों या बौद्धों की थी।’ इस बीच, दिल्ली प्रशासनिक अधिकारी एकेडमी फोरम के मानद अध्यक्ष आईएएस के. महेश ने कुरैशी का समर्थन किया और कहा कि निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त, दोनों ही पदों पर रहते हुए उन्होंने अद्भुत तरीके से काम किया।
महेश ने कहा, ‘उन्होंने इन महान जिम्मेदारियों को बहुत ही आत्मविश्वास और विशिष्टता के साथ संभाला तथा कई सुधारों को लागू करके निर्वाचन आयोग की संस्था को समृद्ध किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने मतदाता शिक्षा प्रभाग, व्यय नियंत्रण प्रभाग की स्थापना की और उन्होंने भारत अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान की भी स्थापना की थी’ उन्होंने कहा कि कुरैशी ने हरियाणा कैडर के सदस्य के रूप में अन्य पदों को भी बहुत ही विशिष्टता के साथ संभाला और भारत को उनके जैसे आईएएस अधिकारी पर गर्व है। महेश ने कहा, ‘डॉ. गोपालकृष्ण गांधी ने भी इस बात को स्वीकार किया है, जो महात्मा गांधी और सी राजगोपालाचारी (पहले भारतीय गवर्नर जनरल) के वंशज हैं।’ उन्होंने कहा, ‘गोपालकृष्ण गांधी ने डॉ. कुरैशी के बारे में कहा था कि वह ‘हमारे अब तक के सबसे उल्लेखनीय सीईसी में से एक हैं।’