रतन टाटा की अंतिम यात्रा में मिटी धर्म की खाई; हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई गुरुओं ने एक साथ की प्रार्थना
- रतन टाटा की प्रार्थना सभा में सभी धर्मों के पुजारी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखे। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पारसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख और हिंदू धर्मों के पुजारी प्रार्थना सभा में खड़े नजर आ रहे हैं।
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है। उन्होंने बुधवार रात 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। आम लोगों के दर्शन के लिए तिरंगे में लिपटे उनके पार्थिव शरीर को नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) के लॉन में रखा गया है। श्रद्धांजलि के बाद गुरूवार को शाम 4 बजे वर्ली शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
इस बीच प्रार्थना सभा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो को देखकर लोग रतन टाटा को पूरे भारत के लिए प्रेरणा बता रहे हैं। वीडियो में सभी धर्मों के गुरु कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और NCPA लॉन में प्रार्थना कर रहे हैं। वहीं कई लोग उद्योगपति के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। रतन टाटा की प्रार्थना सभा में सभी धर्मों के पुजारियों की मौजूदगी पर लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया भी दी है। एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, “एक अच्छा इंसान होना सबसे बड़ा धर्म है। मानवता उस धर्म का नाम है जिसका हर धर्म के लोग सम्मान करते हैं।” वहीं एक अन्य यूजर ने कहा, “हमने एक रत्न खो दिया।” एक दूसरे यूजर ने कहा, “उन्होंने सभी को एक साथ ला दिया। उनकी आत्मा को शांति मिले।”
रतन टाटा के पार्थिव शरीर को वर्ली के पारसी कब्रिस्तान में ले जाया जाएगा जहां उन्हें सबसे पहले लगभग 45 मिनट तक चलने वाली अंतिम प्रार्थना के लिए प्रार्थना कक्ष में रखा जाएगा। प्रार्थना के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए इलेक्ट्रिक शवदाह गृह ले जाया जाएगा।
हिंदू धर्म से होगा अंतिम संस्कार
जहां हिंदू शव का दाह संस्कार करते हैं और इस्लाम और ईसाई धर्म में शव को दफनाया जाता है वहीं पारसी एक अनूठी प्रथा का पालन करते हैं। इस प्रक्रिया के तहत मृतक को ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’ के ऊपर रखा जाता है। वहां गिद्ध शवों को खाते हैं। पारसी शवदाह या दफनाने से बचते हैं क्योंकि वे मृतक के शरीर को अशुद्ध मानते हैं और मानते हैं कि यह प्राकृतिक तत्वों को दूषित करता है। दाह संस्कार से बचा जाता है क्योंकि यह अग्नि को अपवित्र कर देता है जो पारसी धर्म में पवित्र है। इसी तरह दफनाने का अभ्यास नहीं किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह पृथ्वी को प्रदूषित करता है। वहीं शवों को पानी में रखना वर्जित है क्योंकि यह जल तत्व को प्रदूषित करता है। हालांकि रतन टाटा के शव का दाह संस्कार करने का फैसला लिया गया है।