Hindi Newsदेश न्यूज़Punjab and Haryana High Court laments absence of educational qualification requirement to become MP MLA

राजेंद्र प्रसाद का कौन सा सपना आया HC को याद, बोला- 75 साल तो पूरे हो गए, पर हुआ कुछ नहीं

  • पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सांसद, विधायक बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता के नियम न होने पर खेद व्यक्त किया है। कोर्ट ने बीजेपी के पूर्व MLA राव नरबीर सिंह के खिलाफ आपराधिक शिकायत को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानTue, 3 Sep 2024 05:57 AM
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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक विधायकों और सांसदों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य नहीं की गई है। कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा विधायक और सासंद बनने के लिए न्यूनतम योग्यता अनिवार्य न करने के खेद को आज तक संबोधित नहीं किया गया है। इस दौरान जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में डॉ. प्रसाद द्वारा दिए गए संबोधन का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून बनाने वालों के बजाय कानून को प्रशासित करने या उसे प्रशासित करने में मदद करने वालों के लिए उच्च योग्यता पर जोर देना सही नहीं है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “लगभग 75 साल का समय बीत चुका है लेकिन आज तक इसका इंतजार है। आज भी कैबिनेट मंत्री बनने के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं है।” कोर्ट ने कहा, "हमारे देश में कोई भी व्यक्ति सांसद या विधायक बन सकता है।" कोर्ट ने यह टिप्पणी एक आपराधिक शिकायत को खारिज करते हुए की। इसमें आरोप लगाया गया था कि बीजेपी के नेता और पूर्व विधान सभा सदस्य राव नरबीर सिंह ने नामांकन पत्र में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी दी थी।

क्या है मामला?

आरटीआई कार्यकर्ता हरिंदर ढींगरा ने आरोप लगाया था कि नरबीर सिंह ने 2005 में दावा किया था कि उन्होंने 1986 में हिंदी विश्वविद्यालय हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रया से स्नातक किया था लेकिन बाद में उन्होंने उल्लेख किया है कि उन्होंने "हिंदी विश्वविद्यालय इलाहाबाद से स्नातक किया था। ढींगरा ने न्यायालय को बताया कि हालांकि यूजीसी ने आरटीआई कानून के तहत एक जवाब में बताया कि ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है।

कोर्ट ने किया खारिज

अपील को खारिज करते हुए जस्टिस सिंधु ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने शिकायत को खारिज करते हुए अच्छे और पर्याप्त कारण बताए हैं। कोर्ट ने यह पाया कि सिंह के पास 2005 और 2014 में नामांकन पत्र दाखिल करने के समय स्नातक की डिग्री थी। कोर्ट ने कहा, “यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि आज तक हमारे देश में विधायक या सांसद के रूप में चुनाव लड़ने के लिए किसी भी शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है।” हाई कोर्ट ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि चूंकि सिंह ने स्नातक वर्ष के बारे में विरोधाभासी जानकारी दी थी इसलिए वह नामांकन पत्र में गलत घोषणा करने का दोषी है।

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