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ये नतीजे ना आते तो बदल देते संविधान, लोकसभा में गरजीं प्रियंका गांधी; PM मोदी पर भी तंज

वायनाड से सांसद चुनी जाने के बाद प्रियंका गांधी ने लोकसभा में पहले भाषण में उत्तर प्रदेश के कई मुद्दे उठाए। संविधान को लेकर संबोधन के दौरान उन्होंने कई घटनाओं का भी जिक्र किया।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानFri, 13 Dec 2024 01:27 PM
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लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे इस तरह के ना होते तो ये लोग संविधान बदलने को भी तैयार थे। वायनाड से सांसद चुनी जाने के बाद लोकसभा में यह उनका पहला भाषण था। उन्होंने पीएम मोदी पर भी तंज कसते हुए कहा कि आज के राजा भेष बदलना तो जानते हैं लेकिन जनता के बीच जाने और आलोचना सुनने की हिम्मत नहीं है।

प्रियंका गांधी ने कहा , वाद विवाद की हमारी पुरानी संस्कृति रही है। इसी परंपरा से उभरा हमारा स्वतंत्रता संग्राम। हमारा स्वतंत्रता संग्राम विश्व में एक अनोखा संग्राम था। यह एक अनोखी लड़ाई थी जो अहिंसा और सत्य पर आधारित थी। इस संग्राम को आगे कैसे बढ़ा गया। आजादी की लड़ाई बेहद लोकतांत्रिक थी। इसमें देश के मजदूर, किसान अधिवक्ता, बुद्धजीवी, हर जाती, धर्म औऱ हर भाषा को बोलने वाले सब इस संग्राम में शामिल हुए। सबने आजादी की लड़ाई लड़ी। उसी आजादी की लड़ाई से एक आवाज उभरी। वह देश की आवाज थी और वही आवाज आज हमारा संविधान है। आजादी की गूंज में हमारा संविधान बनाया गया। यह सिर्फ दस्तावेज नहीं है। राजगोपालाचारी जी, डॉ. आंबेडकर और जवाहरलाल नेहरू जी और उस समय के तमाम नेता। जैसे आपने कहा कि इस संविधान को बनाने में सालों जुटे रहे।

उन्होंने कहा, हमारा संविधान इंसाफ, उम्मीद अभिव्यक्ति की ज्योत है जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जलती है। इस जोत ने हर भारतीय को यह पहचानने की शक्ति दी कि उसे न्याय मिलने का अधिकार है। कि उसमें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने की क्षमता है। वह जब आवाज उठाएगा तो सत्ता को उसके सामने झुकना पड़ेगा। इस संविधान ने सबको अधिकार दिया कि वह सरकार बदल सकता है। हर हिंदुस्तानी को विश्वास दिया कि देश के संसाधनों में उसका भी हिस्सा है। उसे एक सुरक्षित भविष्य का अधिकार है। देश बनाने में उसकी भागेदारी है। उम्मीद और आशा की यह जोत मैंने देश के कोने-कोने में देखी है।

प्रियंका ने कहा, उन्नाव में मैं रेप पीड़ति के घर गई। वह 20-21 साल की रही होगी। जब वह लड़ाई लड़ने गई तो उसे जलाकर मार डाला गया। उसके खेत जलाया गया था। भाइयों को मारा गया था। पिता को घर से बाहर घसीटकर मारा गया था। उस पिता ने बताया कि बेटी मुझे न्याय चाहिए. मेरी बेटी जब एफआईआर दर्ज करने जिले में गई तो उसे मना किया गया। वह रोज सुबह तैयार होकर अपने मुकदमे को लड़ने के लिए बगल के जिले में ट्रेन से जाती थी। मैंने उसे मान किया लेकिन बेटी ने जवाब दिया कि यह मेरी लड़ाई है और मैं लड़ूंगी। यह क्षमता उस लड़की को हमारे संविधान ने दी।

वायनाड की सांसद ने कहा, आगरा में मैं अरुण वाल्मीकि के घर गई। वह पुलिस स्टेशन में सफाई का काम करता था। हमारी तरह उसका भी परिवार था। नई शादी हुई थी। दो तीन महीने का बच्चा था। उसपर चोरी का इल्जाम लगाया गया। उसके पूरे परिवार को लेकर पुलिस स्टेशन ले गए। अरुण वाल्मीकि को पीट-पीटकर मार डाला। उसके पिता के नाखुन निकाल लिए। उसके पूरे परिवार को पीटा गया। मैं उस विधवा से मिलने गई। उसने कहा, दीदी हमें सिर्फ न्याय चाहिए। हम न्याय के लिए लड़ते रहेंगे। ये हिम्मत महिला को संविधान ने दी।

संभल की घटना का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, संभल के कुछ लोग हमसे मिलने आए थे। उसमें दो बच्चे थे, अदनान और उजैर। एक बच्चा मेरे बच्चे की उम्र का है। दूसरा उससे छोटा है। दर्जी के बेटे था। उसका सपना था कि एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा। पिता जी रोज स्कूल छोड़ते थे। उस दिन भी यही हुआ। पता नहीं था विवाद हुआ। जब वे घऱ आने लगे तो पुलिस ने उन्हें मार डाला। 17 साल का अदनान कहता है कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनकर दिखाऊंगा। यह आशा उसके दिल में हमारे संविधान ने डाली है।

उन्होंने कहा, हमारे संविधान की जोत को जलते हुए देखा है औऱ यह भी समझा है कि यह एक सुरक्षा कवच है। एक ऐसा सुरक्षा कवच जो देशवासियों को सुरक्षित रखता है। यह अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है। दुख की बात यह है कि हमारे सत्ता पक्ष के साथी जो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं उन्होंने 10 सालों में कवच को तोड़ने का पूरा प्रयास किया। संविधान में सामाजिक, आर्तिक और राजनीतिक न्याय का वादा है। यह वादा एक सुरक्षा कवच है। जिसको तोड़ने का काम शुरू हो चुका है। लैटरल एंट्री औऱ निजीकरण के जरिए यह सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा, अगर लोकसभा में ये नतीजे ना आते तो ये संविधान भी बदलने लगते। सच्चाई यह है कि बार-बार ये संविधान-संविधान बार-बार इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन्हें पता चल गया कि देश की जनता संविधान नहीं बदलने देगी। इन्हें हारते-हारते जीतकर यह बात पता चल गई।

प्रियंका गांधी ने कहा, सत्तापक्ष ने जातीय जनगणना का जिक्र इसलिए किया क्योंकि इन्हें नतीजे पता हैं। जब पूरे विपक्ष ने जातीय जनगणना की मांग की तो इनका जवाब, मंगलसूत्र चुरा लेंगे। यह जवाब था। महोदय, हमारे सविधान में आर्थिक मजबूती की नींव डाली। उन्होंने तमम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों और भाषणों से मिटाया जा सकता है। लेकिन उनकी आजादी और निर्माण में भूमिका को मिटाया नहीं जा सकता। सरकार पर 75 साल से भरोसा था कि नीतियां लोगों के लिए बनेंगी। इंदिरा जी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण करवाया। खजाने का राष्ट्रीयकरण करवाया। कांग्रेस की सरकार में शिक्षा और भोजन का अधिकार मिला। जनता का भरोसा मिला। पहले संसद चलती थी तो लोगों को उम्मीद होती थी कि सरकार बेरोजगारी और महंगाई का कोई रास्ता निकालेगी। लोग मानते थे कि कोई नीति भारतीय बाजार को मजबूत बनाने के लिए बनेगी। आप नारी शक्ति की बात करते हैं आज चुनाव की वजह से शायद नारीशक्ति की इतनी बात हो रही है। हमारे संविधान ने महिलाओं को अधिकार दिया। आज आपको पहचानना पड़ रहा है कि नारी शक्ति के बिना ये सरकारें नहीं बन सकती हैं।

प्रियंका गांधी ने कहा, नारी शक्ति का अधिनियम आप लागू क्यों नहीं करती। क्या आज की नारी 10 साल का इंतजार करेगी। आज संसद में बैठे हुए सत्ता पक्ष के मेरे साथी ज्यादा-से ज्यादा अतीत की बातें करते हैं। नेहरू जी ने क्या किया। वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए कि आप क्या कर रहे हैं। आपकी क्या जिम्मेदारी है। क्या सारी जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू की है। यह सरकार आर्थिक न्याय का सुरक्षा कवच तोड़ रही है। यह स रकार जनता को क्या राहत दे रही है। कृषि कानून भी उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं। डीएपी तक नहीं मिल रहा है।

प्रियंका गांधी ने कहा, हिमाचल में सेब के किसान रो रहे हैं। क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सबकुछ बदला जा रहा है। उन्होंने कहा, अडानी जी को सारे कोल्ड स्टोरेज आपकी सरकार ने दिए हैं। देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ देश की जनता को नकारा जा रहा है। सारे गवाह, सारे संसाधन, सारे मौके एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं। सारे बंदरगाह, एयरपोर्ट, सड़कें, कारखाने, सरकारी कंपनियां सिर्फ एक व्यक्ति को। जनता के मन में विश्वास था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान हमारी सुरक्षा करेगा लेकिन जनता में धारणा बन रही है कि सरकार सिर्फ अडानी जी के लिए चल रही है।

वायनाड की सांसद ने कहा, राजनीतिक न्याय की बात जब होती है। हमारे सत्ता पक्ष के लोग 1975 की बात कर रहे हैं। सीख लीजिए आप भी। आप भी अपनी गलती के लिए माफी मांग लीजिए। आप भी बैलेट पर चुनाव करवा लीजिए। दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। आप पैसे के बल पर सरकारों को गिरा देते हैं। सत्तापक्ष के साथी ने एक उदाहरण दिया. यूपी की सरकार का। मैं भी उदाहरण दे देती हूं महाराष्ट्र की सरकार का। गोवा की सरकार, हिमाचल की सरकार। क्या ये सरकारें जनता ने नहीं चुनी थी। देश की जनता जानती है कि उनके पास वॉशिंग मशीन है। यहां से वहां जो जाता है, वह धुल जाता है। इस तरफ दाग, उस तरफ स्वच्छता। मेरे कई साथी हैं जो इस तरफ थे और उस तरफ चले गए। वॉशिंग मशीन में धुल गए हैं।

पीएम मोदी पर भी कस दिया तंज

पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जी संविधान को यहां माथे पर लगाते हैं लेकिन जब न्याय की गुहार उठती है तो माथे पर शिकन भी नहीं आती। वह समझ नहीं पाए हैं कि भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है। करोड़ों देशवासियों के दिल में एक दूसरे के लिए प्रेम है, घृणा नहीं है। इनकी विभाजनकारी नीतियों का नतीजा रोज देखते हैं। राजनीतिक फायदे के लिए संविधान को छोड़िए देश की एकता को भी दांव पर लगा देते हैं। संभल में देखा, मणिपुर में देखा। इनका कहना है कि देश के अलग-अलग हिस्से हैं। लेकिन हमारा संविधान कहता है कि यह देश एक है और एक रहेगा। जहां अभिव्यक्ति का सुरक्षा कवच था, उन्होंने भय का माहौल बनाया। सत्तापक्ष के साथ 75 सालों की बात करते हैं लेकिन इन सालों में संविधान की जोत कभी धीमी नहीं हुई। जनता ने निडर होकर प्रदर्शन किए। जब नाराज हुई तो सत्ता को ललकारा। बड़े से बड़े नेताओं को कटघरे में खड़े किया। चार की दुकानों में, घरों में गलियों में चर्चा कभी बंद नहीं हुई। लेकिन आज यह माहौल नहीं है। आज जनता को सच बोलने से रोका जाता है। पत्रकार हो या विपक्ष के नेता, सब का मुंह बंद करवाया जाता है।ऐसा डर का माहौल अंग्रेजों के सरकार में था। उन्होंने कहा, आज के राजा भेष तो बदलते हैं लेकिन ना जनता के बीच जाते हैं और ना आलोचना सुनने की हिम्मत है।

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