माहौल शीत रहेगा; संसद जाते समय महाराष्ट्र के नतीजों की ओर PM मोदी का इशारा
- संसद के शीत सत्र की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग संसद में बाधा पैदा करते हैं, जनता उन्हें भी सजा देती है। जनता को उन्हें बार-बार रिजेक्ट करना पड़ रहा है।
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर करारा तंज कसा है। महाराष्ट्र में महायुति की जबरदस्त जीत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा शीतकालीन सत्र है और माहौल भी शीत ही रहेगा। उन्होंने कहा, 2024 का अंतिम कालखंड चल रहा है। देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में लगा है। संसद का यह सत्र अनेक प्रकार से विशेष है। सबसे बड़ी बात है हमारे संविधान के 75 साल की यात्रा। 75वें साल में उसका प्रवेश। यह अपने आपमें लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है। कल संविधान सदन में सब मिलकर संविधान के 75वें वर्ष की, उत्सव की शुरुआत करेंगे।
पीएम मोदी ने कहा, संविधान निर्माताओं ने संविधान बनाते समय एक-एक बिंदु पर बहुत विस्तार से बहस की है। तब जाकर ऐसा उत्तम दस्तावेज हमें प्राप्त हुआ है। उसकी एक महत्वपूर्ण इकाई है हमारी संसद। हमारे सांसद भी और हमारी संसद भी संसद में स्वस्थ चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में अपना योगदान दें। दुर्भाग्य से, कुछ लोगों ने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिन्हें जनता ने अधिकार दिया है, वे संसद को भी मुट्ठीभर लोगों की हुड़दंगबाजी से कंट्रोल करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधि को रोकने से ज्यादा सफल नहीं होता। देश की जनता उनके व्यवहारों को काउंट करती है और जब समय आता है तो सजा भी देती है। लेकिन सबसे ज्यादा पीड़ा की बात है जो नए सांसद होते हैं. नए विचार लेकर आते हैं। उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। सदन में बोलने का अवसर तक नहीं मिलता है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी का काम है कि आने वाली पीढ़ियों को तैयार करे। लेकिन 80-80, 90-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकारा है वे ना संसद में चर्चा होने देते हैं और ना ही लोकंतंत्र की भावना का सम्मान करतेहैं। वे लोगों की आकांक्षाओं का महत्व भी नहीं समझते हैं। इसका परिणाम यह है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी खरे नहीं उतरते हैं। इसके बाद जनता को बार-बार उन्हें रिजेक्ट करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, 'यह सदन लोकतंत्र की 2024 के लोकसभा के चुनाव के बाद देश की जनता को अपने-अपने राज्यों में देश की भावनाएं प्रकट करने का अवसर मिला है। उसमें भी 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को राज्यों के द्वारा और अधिक बल प्रदान किया गया है। और अधिक समर्थन का व्यास बढ़ा है। लोकतंत्र की शर्त है कि हम जनता जनार्दन की भावनाओं का आदर करें। उनकी आशाओँ पर खरा उतरने के लिए दिन रात मेहनत करें। मैं बार-बार विपक्ष के साथियों से आग्रह करता रहा हूं, कुछ विपक्ष बहुत जिम्मेदारी से व्यवहार करते भी हैं। उनकी भी इच्छा रहती है कि सदन में सुचारु रूप से काम हो। लेकिन लगातार जिनको जनता रिजेक्ट कर रही है वे अपने साथियों की बात भी नहीं मानते। उनकी भावनाओं का भी अनादर करते हैं। मैं आशा करता हूं कि हमारे नए साथियों को अवसर मिले। सभी दल में नए साथी हैं। उनके पास नए विचार हैं। आज विश्व भारत की तरफ बहुत आशा भरी नजर से देख रहा है। तब हम संसद के समय का उपयोग वैश्विक स्तर पर भी भी आत्म सम्मान को बढ़ाने के लिए होना चाहिए। भारत की संसद से वह संदेश भी जाना चाहिए कि भारत के मतदाता, उनका लोकतंत्र के प्रति समर्पण, उनका संविधान के प्रति समर्पण, संसद में बैठे हुए हम सबको जनता जनार्दन की भावनाओं पर खरा उतरना ही पड़ेगा। समय की मांग है कि हम अब तक जितना समय गंवा चुके हैं उसका पश्चाताप करें और परिमार्जन करने का उपाय यही है कि हम बहुत ही तंदरुस्त तरीके से हर विषय के अनेक पहलुओं को संसद भवन में उजाकर करें। आने वाली पीढ़ियां भी उससे प्रेरणा लेंगी। मैं आशा करता हूं कि यह सत्र बहुत ही परिणामकारी हो। संविधान के 75वें वर्ष की शान को बढ़ाने वाला हो। वैश्विक गरिमा को बल देने वाला हो। नए सांसदों को अवसर देने वाला हो। नए विचारों का स्वागत करने वाला हो।'