तय हो रहा पहलगाम का अंजाम, IAF चीफ के बाद रक्षा सचिव से मिले PM मोदी; क्या तैयारी
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ऐक्शन मोड में है। भारतीय वायु सेना चीफ के बाद पीएम मोदी रक्षा सचिव से मिले हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान में भारत के ऐक्शन को लेकर डर लगातार बना हुआ है और वह दुनिया से मदद मांग रहा है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह एक्शन मोड में नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले वायुसेना प्रमुख से मुलाकात की और अब उन्होंने रक्षा सचिव से भी उच्च स्तरीय बैठक कर स्थिति की समीक्षा की है। प्रधानमंत्री मोदी की इन बैठकों को लेकर संकेत मिल रहे हैं कि भारत ठोस जवाब की दिशा में बढ़ रहा है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई। इस हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले के बाद दुनियाभर के देशों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन किया है। इसमें इजरायल, अमेरिका और रूस भी शामिल हैं। पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की करतूत सामने आई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना प्रमुख सहित तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की थी। यह बैठक 29 अप्रैल 2025 को हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी उपस्थित थे। बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सशस्त्र बलों को "पूरी छूट" दी है, ताकि वे हमले के जवाब में उपयुक्त समय, स्थान और तरीके का चयन कर सकें।
पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़े ऐक्शन लिए है। इसमें सबसे प्रमुख सिंधु जल संधि पर रोक है। भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि पर आगे की बातचीत रोक दी है। इसके बाद भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा जारी करना बंद कर दिया और देश में रह रहे सभी पाकिस्तानियों को वापस लौटने का आदेश दिया है। भारत ने पाकिस्तानी झंडा लगे किसी भी जहाज़ को अपने बंदरगाहों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी है और पाकिस्तान से सभी प्रकार के आयात पर रोक लगा दी है।
आर्थिक नकेल की तैयारी
मोदी सरकार अब पाकिस्तान की आतंकवाद फंडिंग रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे IMF और FATF के पास जाने की तैयारी कर रही है, ताकि पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद में कटौती कराई जा सके। मोदी सरकार का साफ संदेश है कि आतंक का समर्थन करने वालों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया जाएगा।