फर्जी कहानियों का सच सामने आ ही जाता है... PM मोदी ने की फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' की तारीफ
गोधरा कांड को लेकर बनी द साबरमती रिपोर्ट फिल्म को लेकर पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया दी है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अच्छी बात है कि फर्जी कहानियों का सच सामने आ रहा है।
फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म 2002 में गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद की घटनाओं से जुड़ी पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सोशल मीडिया पर 'द साबरमती रिपोर्ट' की तारीफ की। पीएम मोदी ने कहा कि यह अच्छी बात है कि यह सच्चाई सामने आ रही है। फेक नैरेटिव सीमित समय तक ही चलता है, सच आखिरकार सामने आ ही जाता है।
'द साबरमती रिपोर्ट' फिल्म में बॉलीवुड स्टार विक्रांत मैसी एक स्थानीय पत्रकार की भूमिका में हैं। इसके निर्माताओं का दावा है कि यह फिल्म ‘‘सच्ची घटनाओं से प्रेरित है।’’ यह एकता आर कपूर द्वारा निर्मित और धीरज सरना द्वारा निर्देशित है। फिल्म में रिद्धि डोगरा और राशि खन्ना सहकलाकार हैं।
पीएम मोदी ने क्या लिखा
पीएम मोदी ने फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' की तारीफ की है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक यूजर आलोक भट्ट की टाइमलाइन शेयर करते हुए लिखा, “ख़ूब कहा है। यह अच्छा है कि सच सामने आ रहा है और वह भी इस तरह से कि आम लोग इसे देख सकें। एक फर्जी कहानी केवल सीमित समय तक ही कायम रह सकती है। आख़िरकार, तथ्य हमेशा सामने ही ही जाते हैं!” बता दें कि गोधरा ट्रेन अग्निकांड के वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे।
फिल्म के बारे में
'द साबरमती रिपोर्ट' फिल्म भारत की एक बेहद दर्दनाक घटना की झलक दिखाती है। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर दिया था। फिल्म साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन हादसे से ही शुरू होती है। इस पूरी कहान में ट्रेन हादसे का सच सामने लाने की जद्दोजहद है। फिल्म में हिंदी भाषा के पत्रकार समर कुमार और अंग्रेजी पत्रकार मनिका राजपुरोहित के बीच एक-दूसरे को सच्चा और झूठा दिखाने की होड़ मची है। समर कुमार का किरदार विक्रांत मैसी ने निभाया है। कहानी में टर्निंग पॉइंट तब आता है जब एक और महिला पत्रकार अमृता गिल (राशि खन्ना) की एंट्री होती है। वह समर का साथ देती है और इस घटना को दुनिया के सामने लाने में उसकी मदद करती है।
गौरतलब है कि 2002 में गुजरात के गोधरा ट्रेन स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी। उस घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे, जिसमें 1,000 से अधिक लोगों की जान चली गई थे तथा जान गंवाने वालों में से अधिकतर मुस्लिम थे।