जन्मजात झूठा है पाक, UN में भी किया था फरेब; क्या था पूरा मामला, भारत ने पेश किया कच्चा-चिट्ठा
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पाक की पोल खोलते हुए उसके झूठे इतिहास को उजागर किया है। मिसरी ने कहा कि पाक ने यूएन में झूठ बोला और आज तक उसी फरेबी राह पर चला आ रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गुरुवार को हुई प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पाकिस्तान की झूठ की फितरत को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया। मिसरी ने दो टूक कहा कि पाकिस्तान न केवल अपने झूठे दावों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है, बल्कि अब भारत की सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भी मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है। सबसे तीखा हमला तब हुआ जब मिसरी ने पाकिस्तान के इतिहास की ओर इशारा करते हुए कहा, "झूठ तो पाकिस्तान के डीएनए में है। जब 1947 में जम्मू-कश्मीर पर हमला किया गया, तब भी पाकिस्तान ने यूएन में झूठ बोला कि उसका इससे कोई लेना-देना नहीं। झूठ की ये यात्रा वहीं से शुरू हुई थी और आज तक जारी है।"
जन्मजात झूठा है पाक
गौरतलब है कि 1947 में भारत की आजादी के कुछ ही महीनों बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करने की एक सुनियोजित साजिश रची। उसने सीधे-सीधे युद्ध छेड़ने के बजाय कबायली घुसपैठियों का सहारा लिया। 22 अक्टूबर 1947 को हजारों की संख्या में उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तूनख्वा) से ताल्लुक रखने वाले कबायली लड़ाकों को हथियारों से लैस कर पाकिस्तान की सेना ने जम्मू-कश्मीर में घुसा दिया। इन्हें न सिर्फ पाकिस्तानी सेना ने प्रशिक्षित और संगठित किया था, बल्कि हमले के दौरान उन्हें रसद और रणनीतिक समर्थन भी दिया गया। इन लड़ाकों ने बारामूला जैसे इलाकों में भारी लूटपाट, हिंसा और आम नागरिकों की हत्याएं कीं, जिससे घाटी में दहशत फैल गई।
पाकिस्तान ने यूएन में रचा फरेब
जब भारत ने इस हमले के जवाब में सैनिक कार्रवाई शुरू की और महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए, तब पाकिस्तान बौखला गया। अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए उसने संयुक्त राष्ट्र में यह झूठ बोला कि उसका हमले से कोई लेना-देना नहीं है और यह सब स्थानीय विद्रोह है। लेकिन भारत ने सबूतों के साथ यूएन में साफ किया कि यह हमला पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना की मिलीभगत से हुआ था।
ऑपरेशन सिंदूर पर क्या बोले विक्रम मिसरी
गौरतलब है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मिसरी ने साफ किया कि भारत की कार्रवाई पूरी तरह आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई थी और इसमें एक भी आम नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा। मिसरी ने दो टूक शब्दों में कहा, "पाकिस्तान जो नागरिक हानि का रोना रो रहा है, वो दरअसल अपने आतंकी नेटवर्क को बचाने की नाकाम कोशिश है।" पाकिस्तान के आरोपों पर पलटवार करते हुए उन्होंने नीलम-झेलम परियोजना पर हमले की बात को सिरे से खारिज किया। मिसरी ने साफ चेतावनी देते हुए कहा, "अगर पाकिस्तान हमारे बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने की साजिश करता है, तो फिर जवाब की जिम्मेदारी उसी की होगी।"