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Hindi Newsदेश न्यूज़Opposition may move Impeachment or no-confidence resolution against Jagdeep Dhankhar RS session ends on stormy note

राज्यसभा में जगदीप धनखड़ से छिड़ी कैसी रार, महाभियोग लाने को विपक्ष हो गया तैयार? 3 दिन पहले संसद सत्र का भी अवसान

धनखड़ और विपक्षी सांसदों के बीच पिछले कुछ दिनों से सदन में तनातनी चल रही थी। गुरुवार को पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट को अयोग्य ठहराये जाने के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग को आसन ने खारिज कर दिया था, इसके बाद विपक्ष ने उच्च सदन से बहिर्गमन किया।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 9 Aug 2024 05:14 PM
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संसद का मॉनसून सत्र अपने निर्धारित समय से तीन दिन पहले ही खत्म हो गया है। दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। 18वीं लोकसभा का यह पहला पूर्ण सत्र था । उधर, शुक्रवार को राज्यसभा का सत्र काफी हंगामेदार रहा और विपक्षी दलों और सभापति जगदीप धनखड़ के बीच तीखी नोकझोंक हुई। सभापति धनखड़ के आचरण से दुखी विपक्षी इंडिया गठबंधन के दल अब  संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत उनके खिलाफ महाभियोग या अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए नोटिस देने पर विचार कर रहे हैं। विपक्षी दलों के सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से सभापति धनखड़ को हटाने के लिए नोटिस देने के विचार पर चर्चा चल रही है और सभी विपक्षी दल सहमत हैं। 

सूत्रों ने यह भी बताया कि इस नोटिस के लिए 87 सांसदों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। अनुच्छेद 67 (बी) के तहत उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा द्वारा सहमत एक प्रस्ताव के माध्यम से उनके कार्यालय से हटाया जा सकता है। हालांकि इस खंड के प्रयोजन के लिए कोई भी प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कि प्रस्ताव पेश करने के इरादे से कम से कम 14 दिन का नोटिस न दिया गया हो।

विपक्ष से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि दो दिन पहले, राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा को अनौपचारिक रूप से सूचित किया गया था कि विपक्ष धनखड़ को हटाने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने पर विचार कर रहा है। सूत्र ने कहा कि विपक्षी दलों के लिए यह बात बहुत चिंताजनक है कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का माइक बार-बार बंद किया जाता है। हालांकि विपक्षी दलों के पास महाभियोग पारित कराने के लिए संख्या बल नहीं है लेकिन वे इसका नोटिस देकर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना चाहते हैं।

दरअसल, धनखड़ और विपक्षी सांसदों के बीच पिछले कुछ दिनों से सदन के अंदर तनातनी चल रही थी। गुरुवार को पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट को अयोग्य ठहराये जाने के मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग को राज्यसभा में आसन ने खारिज कर दिया था, इसके बाद विपक्ष ने उच्च सदन से बहिर्गमन किया। बाद में विपक्ष के विरोध के बीच सभापति गुस्से में सदन से चले गए।

शुक्रवार को भी सदन में तब हंगामा मचा, जब समाजवादी पार्टी की सदस्य जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ के बोलने के लहजे पर आपत्ति जताई जिसके बाद दोनों के बीच नोंकझोंक हो गई और सभापति ने कहा कि उनके जैसी सेलिब्रिटी को भी शिष्टाचार का पालन करने की जरूरत है।

इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भाजपा सांसद घनश्याम तिवाड़ी की टिप्पणी का मुद्दा उठा। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सभापति से कहा कि खरगे जी के बारे में कुछ आपत्तिजनक बातें कही गई थीं। इस पर आपने कहा था कि रुलिंग देंगे, तो वह रुलिंग क्या है? इसके जवाब में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे और घनश्याम तिवाड़ी के बीच बातचीत हो गई है। इस पर रमेश ने कहा कि कुछ भी आपत्तिजनक है तो घनश्याम तिवाड़ी माफी मांगें। इस पर सभापति ने कहा कि तिवाड़ी ने प्रशंसा में बात कही थी और प्रशंसा में कही गई बात पर माफी नहीं मांगी जाती। इस पर रमेश के साथ धनखड़ का विवाद हो गया। विवाद में अजय माकन भी कूद पड़े।

कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि तिवाड़ी की जो टोन (लहजा) था और जो शब्द उन्होंने कहे थे, वे संसद की गरिमा के अनुरूप नहीं थे। राज्यसभा की नियमावली के अनुसार, अगर किसी सदस्य का नाम लिया जाता है तो उसे सदन से बाहर जाना होता है और फिर वह उस दिन सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकता। सभापति ने जब जयराम रमेश से कहा कि वह उनका नाम लेंगे तो कांग्रेस के अजय माकन ने कहा ‘‘नाम क्यों लिया जाएगा। नेता विपक्ष के साथ जो हुआ, वह सदन के संज्ञान में लाने के लिए क्या सदस्य का नाम लिया जाएगा ? आप हमें कहते हैं कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? हम हंस क्यों रहे हैं?’’

इस दौरान सभापति ने द्रमुक सदस्य तिरुचि शिवा को अपनी बात रखने के लिए कहा। शिवा ने कहा कि बोलने बोलने में भी अंतर होता है और इस बात को समझना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘लहजा मायने रखता है। यही बात विपक्ष के नेता पर भी लागू होती है।’’ इसके बाद सभापति ने सपा सदस्य जया बच्चन को अपनी बात रखने की अनुमति दी। जया ने सभापति के बोलने के लहज़े पर आपत्ति जताई। सभापति ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जैसी सेलिब्रिटी को भी शिष्टाचार का पालन करने की जरूरत है।

एक सदस्य ने कहा कि सदन में वह (जया) सेलिब्रिटी नहीं बल्कि वरिष्ठ सदस्य हैं। इस पर सभापति ने कहा कि संसद के वरिष्ठ सदस्य के पास क्या आसन की गरिमा को गिराने का लाइसेंस होता है ? सभापति ने अपने लहजे, अपनी आदत, अपने मिजाज को लेकर सदस्यों की टीका टिप्पणियों पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि वह किसी के कहने पर नहीं बल्कि अपने अनुसार, सदन के नियमों के अनुसार चलेंगे।

जया बच्चन ने भी कुछ कहना चाहा लेकिन सभापति ने उन्हें अनुमति नहीं दी। इस बीच विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। धनखड़ ने खरगे से कहा, " आप संविधान की कीमत पर अपना रास्ता निकालने के लिए अड़े हैं। यह शिष्टाचार की कमी, लोकतंत्र तथा संविधान का अनादर है। राष्ट्र प्राथमिकता है, राष्ट्र हमेशा पहले है...।"

सभापति इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कहा ‘‘मैं जानता हूं कि आप पूरे देश को अस्थिर करना चाहते हैं। आप सदन में अव्यवस्था फैलाना चाहते हैं। मैं इस सदन को हंगामे की जगह नहीं बनने दूंगा।’’ इसके बाद विपक्षी सदस्य विरोध जताते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए। धनखड़ ने कहा कि उनका (विपक्षी सदस्यों का) यह आचरण लोकतंत्र और सदन का अपमान है और वे अपनी जिम्मेदारी तथा दायित्वों से भाग रहे हैं।

सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा ‘‘केवल सत्ताधारी दल ही नहीं बल्कि पूरा देश सभापति के साथ खड़ा है। विपक्ष ने बेहद गैर जिम्मेदाराना, अशोभनीय आचरण किया है।’’ उन्होंने कहा कि विपक्ष को माफी मांगनी चाहिए और उन्हें सदन की उस गरिमा के अनुरूप आचरण करना चाहिए जिसकी वे बार बार दुहाई देते हैं। उन्होंने कहा कि सदन में आज जो कुछ हुआ, उसकी वह निंदा करते हैं।

इस बीच, सभापति धनखड़ ने कहा ‘‘यह आचरण एक वायरस की तरह है। अगर इस वायरस को नियंत्रित नहीं किया गया तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक होगा। वे (विपक्षी सदस्य) मेरा नहीं बल्कि देश की जनता का अपमान करते हैं। मैं हर दिन सोचता हूं कि मैं और लचीलापन रखूंगा। लेकिन एक सीमा के बाद तो भगवान कृष्ण भी नजर अंदाज नहीं कर सकते।’’

सभापति ने कहा, ‘‘मैं भगवान कृष्ण नहीं हूं, मुझे सदन का सहयोग चाहिए।’’ सदन के नेता नड्डा ने कहा, ‘‘प्रजातंत्र के मूल्यों का इस तरह से हनन नहीं होना चाहिए। मैं चाहूंगा कि सदन इस बारे में निंदा प्रस्ताव पारित करे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करना इस सदन का दायित्व है। सदन आज की घटना की सर्वसम्मति से निंदा करता है।’’ इसके बाद सभापति ने बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। हंगामे की वजह से सदन में प्रश्नकाल नहीं हो पाया। सदन की कार्यवाही भोजनावकाश के बाद दोपहर दो बजे से साढ़े तीन बजे के बीच तीन बार आधे आधे घंटे के लिए स्थगित की गई। बाद में फिर अनिश्चितकाल के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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