विपक्ष उठा रहा सीजफायर पर सवाल, लेकिन कश्मीर से आई मोदी सरकार के लिए समर्थन की आवाज
हालांकि कांग्रेस ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार को समर्थन दिया था। अब पार्टी ने सीजफायर की टाइमिंग और अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाए हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच घोषित ताजा सीजफायर को लेकर जहां कांग्रेस सहित विपक्ष के कुछ दल सवाल उठा रहे हैं, वहीं मोदी सरकार को समर्थन भी मिला है। समर्थन की ये आवाजें कश्मीर घाटी से आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस फैसले को राजनीतिक समझदारी बताया है और विपक्ष से इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाने की अपील की है।
बीते वर्षों में भाजपा की कटु आलोचक रहीं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, "यह समय राजनीतिक आलोचना का नहीं है, एकजुटता दिखाने का है। जिस तरह पहलगाम हमले के बाद देश एकजुट हुआ, वैसे ही अब शांति प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय सहमति बनानी चाहिए।" उन्होंने टीवी स्टूडियो में बैठे आलोचकों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “जो लोग एयर-कंडीशंड कमरों में बैठकर युद्ध की बातें करते हैं, वे कभी सीमा पर रहने वाले परिवारों के दर्द को नहीं समझ सकते। यह समझ तभी आ सकती है जब आप खुद मौत और तबाही का सामना करें।”
वहीं, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी महबूबा का समर्थन किया। कुपवाड़ा जिले के तंगधार क्षेत्र में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जो लोग नोएडा और मुंबई में टीवी स्टूडियो में बैठकर युद्ध की बातें करते हैं, उन्हें जमीनी हकीकत नहीं पता। सीमा पर रहने वाले लोग सीजफायर चाहते हैं। यही उनकी सच्ची भावना है। यह एक अच्छा कदम है और इसे जारी रहना चाहिए।”
महबूबा बोलीं- पाकिस्तान से हो संवाद
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह जैसे नेताओं ने यह दिखाया कि तनावपूर्ण समय में भी पाकिस्तान के साथ बातचीत की जा सकती है। इस दौरान देश की सुरक्षा या संप्रभुता से समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर के बच्चे बदले का इंतजार नहीं कर रहे, वे शांति चाहते हैं। सच्चे उपचार की शुरुआत संवाद से होती है। हमें ऐसा भविष्य बनाना चाहिए जिसमें हमारे बच्चे डर के बिना जी सकें।"
कांग्रेस और AAP ने उठाए सवाल
हालांकि कांग्रेस ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार को समर्थन दिया था। अब पार्टी ने सीजफायर की टाइमिंग और अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में कहा, "देश को लग रहा था कि हमारी सेना पाकिस्तान को करारा जवाब दे रही है और यह एक सुनहरा मौका था। लेकिन सीजफायर की घोषणा जिस तरह की गई, उससे सरकार की नैतिक ताकत पर सवाल उठता है।"
आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी केंद्र से विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग की है ताकि पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो सके। दिल्ली में संजय सिंह ने कहा, "हमारी सेना मजबूती से जवाब दे रही थी, फिर हमने सीजफायर की घोषणा कर दी। ये फैसले सवालों के घेरे में है।"