राज्यसभा में जगदीप धनखड़ से नाराज विपक्ष, हटाने को नोटिस देने की तैयारी; 87 सांसदों ने किए हस्ताक्षर
- सूत्रों के अनुसार संसद की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद विपक्ष अब संसद के अगले सत्र में नोटिस दे सकता है। ताकि, उसके 14 दिन बाद प्रस्ताव पेश कर सके।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के कथित तौर पर पक्षपात पूर्ण रवैये से नाराज विपक्ष उन्हें पद के हटाने का प्रस्ताव लाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार विपक्ष उनके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत नोटिस दे सकता है। उप राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए इस नोटिस पर 87 सांसदों ने हस्ताक्षर भी किए हैं। कांग्रेस सांसद अजय माकन ने कहा कि सभी विकल्प खुले हैं।
सूत्रों का कहना है कि अनुच्छेद 67 (बी) के तहत उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित और लोकसभा के सहमति प्रस्ताव के जरिए हटाया जा सकता है। इस खंड के प्रयोजन के लिए कोई भी प्रस्ताव तब तक सदन में पेश नहीं किया जा सकता है, जब तक कि प्रस्ताव पेश करने के इरादे से कम से कम 14 दिन का नोटिस न दिया गया हो।
अगले सत्र में देगा नोटिस
विपक्ष के एक सदस्य ने दावा किया कि दो दिन पहले राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा को अनौपचारिक रूप से सूचित किया गया था कि विपक्ष उप राष्ट्रपति को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार संसद की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के बाद विपक्ष अब संसद के अगले सत्र में नोटिस दे सकता है। ताकि, उसके 14 दिन बाद प्रस्ताव पेश कर सके।
विपक्षी दल इंडिया के घटक दलों का आरोप है कि राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ का रवैया पक्षपातपूर्ण दिखता है। हालत यह है कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने नहीं दिया जाता और उनका माइक बंद कर दिया जाता है।
कांग्रेस बोली, सरकार का रवैया तानाशाही भरा
संसद भवन परिसर में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस सांसद अजय माकन और प्रमोद तिवारी ने कहा कि सदन के भीतर सरकार की तरफ से (विपक्ष के आचरण के खिलाफ) निंदा प्रस्ताव लाया जाना, इस बात का प्रमाण है कि सरकार का रवैया तानाशाही भरा है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस रुख के बावजूद विपक्ष लोकतांत्रिक तरीके से जनता की आवाज उठाता रहेगा।
प्रमोद तिवारी ने भाजपा के सदस्य घनश्याम तिवाड़ी के राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए जिन शब्दों का चयन किया, वो अच्छे नहीं थी। उनकी भाव-भंगिमा अच्छी नहीं थी और न ही टोन अच्छी थी। यह अस्वीकार है। सपा सांसद जया बच्चन ने भी राज्यसभा के सभापति के लहजे पर आपत्ति जताई है। इसके साथ उन्होंने सभापति पर विपक्षी सदस्यों को बात रखने का मौका नहीं देने का भी आरोप लगाया।