भारत ने मुरीदके पर क्यों किया हमला? लश्कर का लाहौर वाला आतंकी किला ढेर, हाफिज से सीधा कनेक्शन
लश्कर और उसकी फ्रंट संस्था जमात-उद-दावा का नेटवर्क इतना विशाल है कि पूरे पाकिस्तान में इसके 2500 से ज्यादा कार्यालय और दर्जनों मदरसे हैं।

भारतीय सशस्त्र बलों ने एक बड़े और योजनाबद्ध ऑपरेशन 'सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर रातभर कई हमले किए। इस कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के प्रमुख ठिकानों को निशाना बनाया गया। पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग, DG ISPR ने भी इन हमलों की पुष्टि की है और कहा कि कोटली, मुरीदके और बहावलपुर में पांच स्थानों पर हमले हुए।
मुरीदके क्यों बना प्रमुख निशाना?
लाहौर से करीब 33 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक ग्रैंड ट्रंक रोड पर स्थित मुरीदके लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय है, जिसे 'मरकज-ए-तैयबा' कहा जाता है। यह मुख्यालय जमात-उद-दावा नाम की एक तथाकथित चैरिटेबल संस्था के नाम पर संचालित होता है, लेकिन वास्तव में यह लश्कर का वैचारिक, प्रशिक्षण और संचालन का केंद्र है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 200 एकड़ में फैले इस परिसर में मस्जिद, स्कूल, मदरसे, अस्पताल, बैंक, ऑफिस और ट्रेनिंग ग्राउंड तक मौजूद हैं। यहीं पर पाकिस्तानी और कश्मीरी युवाओं को आतंकवादी अभियानों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह ठिकाना रणनीतिक रूप से भी अहम है क्योंकि यह हाईवे पर स्थित है और लाहौर से बेहद नजदीक है।
पुराना है आतंकी ठिकाने का इतिहास
इसका निर्माण 1980 के दशक के अंत में लश्कर संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की मदद और बाहरी फंडिंग के जरिए किया था। पहले इसे अफगान जिहाद में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में यह भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र बन गया। 2008 के मुंबई हमलों में शामिल कई आतंकियों को इसी मुरीदके स्थित मरकज़ में प्रशिक्षण मिला था- यह जानकारी पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने भारतीय एजेंसियों को दी थी।
नेटवर्क और वैश्विक फंडिंग
लश्कर और उसकी फ्रंट संस्था जमात-उद-दावा का नेटवर्क इतना विशाल है कि पूरे पाकिस्तान में इसके 2500 से ज्यादा कार्यालय और दर्जनों मदरसे हैं। ये संगठन धार्मिक कट्टरता फैलाने, आतंकियों की भर्ती करने और उन्हें प्रशिक्षित करने का काम करते हैं। हालांकि 2008 के बाद पाकिस्तान ने इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया और FATF ने इसे ग्रे लिस्ट में भी डाला, लेकिन भारत ने इसे केवल दिखावटी कार्रवाई बताया। सच्चाई यह है कि संगठन अब भी जिंदा है और सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
प्रमुख आतंकी हमले जिनमें LeT शामिल रहा
दिसंबर 2001: भारतीय संसद पर हमला (Jaish के साथ मिलकर)
जुलाई 2006: मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाके – 180 से ज्यादा लोगों की मौत
नवंबर 2008: मुंबई पर हमला – 166 लोगों की जान गई
मार्च 2000: अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा से ठीक पहले चिट्टीसिंहपुरा में 35 सिखों की हत्या
हाफिज सईद की भूमिका
लश्कर खुद को एक सैन्य संगठन कहता है। इसका प्रमुख (एमीर) हाफिज सईद है, जिसकी मदद आतंकी कमांडर और क्षेत्रीय कमांडर करते हैं। मुरीदके के अलावा, संगठन के प्रशिक्षण शिविर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी फैले हुए हैं। हाफिज सईद का जन्म 1950 में सर्गोधा (पाकिस्तान) में हुआ था, उसको अमेरिका सहित कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया है। भारत के मुताबिक उसका परिवार मूलतः शिमला के आसपास के किसी गांव से 1947 में पाकिस्तान गया था। सईद ने सऊदी अरब की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, जहां वह वहाबी विचारधारा से प्रभावित हुआ।
2001 के बाद से सईद पाकिस्तान में कई बार जेल गया, लेकिन हर बार जल्द ही रिहा हो गया। 2020 में उसे 11 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक वह लाहौर के एक ISI-संरक्षित बंगले में आराम से रह रहा है, जिसमें एक मस्जिद, स्कूल और निजी पार्क तक है। भारत द्वारा 2023 में की गई प्रत्यर्पण की मांग को पाकिस्तान ने ठुकरा दिया था।
ऑपरेशन सिंदूर की अहमियत
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकानों पर हमला किया है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर इस मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे लश्कर के सबसे बड़े ठिकाने पर हुआ हमला है। इससे साफ संदेश गया है कि भारत अब आतंकी हमलों का जवाब कूटनीतिक बयानों से नहीं, ठोस सैन्य कार्रवाई से देगा।