2 से अधिक बच्चे वाले नेता ही लड़ पाएंगे चुनाव, कानून बनाने की तैयारी में यह राज्य
- दो बच्चों की नीति दक्षिण भारतीय राज्यों में सामान्य रूप से पालन की जाती रही है। यह बात इन राज्यों के कुल प्रजनन दर से स्पष्ट है, जो कि 1.73 है। जबकि राष्ट्रीय औसत 2.1 है।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि केवल ऐसे नेता ही ही पंचायत और नगरपालिका चुनावों में भाग ले सकेंगे जिनके दो से अधिक बच्चे हों। हाल ही में आंध्र प्रदेश की विधानसभा द्वारा तीन दशक पुरानी उस कानून को रद्द कर दिया गया जिसमें दो बच्चों से अधिक वाले व्यक्तियों को स्थानीय निकाय चुनावों में भाग लेने से रोका गया था।
आपको बता दे कि चंद्रबाबू नायडू के लिए यह कोई नई बात नहीं है। करीब एक दशक से वह इसकी वकालत कर रहे हैं। उनका मानना है कि तेलुगू परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए ताकि बुजुर्गों की बढ़ती संख्या की समस्या का समाधान किया जा सके। पिछले साल उन्होंने अधिक बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया था।
चंद्रबाबू नायडू के इस बयान के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इस विचार को साझा करते हुए लोगों से अधिक बच्चों को जन्म देने की अपील की थी।
चंद्रबाबू नायडू मंगलवार को अपने गृह नगर नरवरिपल्ले में मकर संक्रांति के अवसर पर अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ थे। उन्होंने कहा, "पहले हमारे पास एक कानून था, जो केवल दो बच्चों वाले लोगों को ही स्थानीय निकाय और नगरपालिका चुनावों में भाग लेने की अनुमति देता था। अब मैं कहता हूं कि जिनके पास कम बच्चे होंगे वे चुनावों में भाग नहीं ले सकेंगे। भविष्य में आप सरपंच, नगरपालिका पार्षद या मेयर तब बन सकेंगे जब आपके पास दो से अधिक बच्चे होंगे। मैं इसे प्रस्तावित नियमों में शामिल करने जा रहा हूं।"
आपको बता दें कि दो बच्चों की नीति दक्षिण भारतीय राज्यों में सामान्य रूप से पालन की जाती रही है। यह बात इन राज्यों के कुल प्रजनन दर से स्पष्ट है, जो कि 1.73 है। जबकि राष्ट्रीय औसत 2.1 है। वहीं, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान और झारखंड जैसे बड़े राज्यों का प्रजनन दर 2.4 है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
चंद्रबाबू नायडू ने यह भी कहा कि वह अधिक बच्चों वाले परिवारों को प्रोत्साहन देने के लिए एक योजना पर काम कर रहे हैं, जिसमें उन्हें पंचायत और नगरपालिका चुनावों में भाग लेने की अनुमति देने के अलावा अधिक सब्सिडी वाले चावल की आपूर्ति भी की जाएगी। वर्तमान में प्रत्येक परिवार को 25 किलो चावल दिया जाता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य को 5 किलो चावल मिलते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जापान, कोरिया और कई यूरोपीय देशों ने परिवार नियोजन नीति को प्रोत्साहित किया है क्योंकि वहां का कुल प्रजनन दर बहुत कम है। ये देश आज बुजुर्गों की बढ़ती संख्या की समस्या से जूझ रहे हैं और भारतीयों को अपने देशों में बसने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह भारत के लिए भी एक चेतावनी है, क्योंकि हमने परिवार नियोजन को प्रोत्साहित किया है और परिवारों को सीमित संख्या में बच्चों तक सीमित करने की सलाह दी है। कुछ वर्षों में भारत भी बुजुर्गों की बढ़ती संख्या की समस्या का सामना करेगा और उस समय हमारे पास बहुत कम विकल्प होंगे।"