1999 के सैलाब से ओडिशा ने सीखा सबक, कौन सा प्लान बनाया; अब तूफानों से नुकसान कम
- इस विनाशकारी तूफान में 10,000 से अधिक लोगों की जान गई और 13 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए। राज्य के 12 जिलों में तबाही का मंजर ऐसा था कि हजारों लोग बेघर हो गए और सरकार के पास आपदा से निपटने की कोई ठोस योजना नहीं थी।
1999 में आए भीषण सुपर साइक्लोन ने ओडिशा को ऐसी तबाही दिखाई जिसकी यादें आज भी ताजा हैं। इस विनाशकारी तूफान में 10,000 से अधिक लोगों की जान गई और 13 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए। राज्य के 12 जिलों में तबाही का मंजर ऐसा था कि हजारों लोग बेघर हो गए और सरकार के पास आपदा से निपटने की कोई ठोस योजना नहीं थी।
इस दर्दनाक अनुभव ने ओडिशा सरकार को एक मजबूत और स्थायी आपदा प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के लिए प्रेरित किया। 1999 की इस महातबाही से सबक लेते हुए, ओडिशा ने देश में पहली बार राज्य स्तरीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (OSDMA) की स्थापना की। यह पहल 2005 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना से भी पहले हुई।
पिछले दो दशकों में, ओडिशा ने अपने आपदा प्रबंधन ढांचे को इतना मजबूत किया कि अब वह देश के सबसे तैयार राज्यों में से एक बन गया है। सरकार ने 800 से अधिक बहुउद्देश्यीय साइक्लोन और बाढ़ आश्रयों का निर्माण किया है, जिनमें से 500 साइक्लोन आश्रय और 311 बाढ़ आश्रय हैं। हाल ही में सरकार ने इन आश्रयों के रखरखाव और मरम्मत की योजना भी तैयार की है, ताकि वे आपदा के समय सुरक्षित और उपयोग के लिए तैयार रहें।
एक्शन एड द्वारा 2023 में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि जगतसिंहपुर जिले के लगभग 67.7 प्रतिशत लोग मौजूदा साइक्लोन आश्रयों को असुरक्षित मानते हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए ओडिशा सरकार ने पंचायती राज और शहरी विकास विभागों को आश्रयों की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा, हर आश्रय की देखभाल के लिए एक समिति बनाई गई है, जिसे हर महीने 2,000 रुपये की सहायता राशि भी प्रदान की जाएगी। ओडिशा सरकार ने 500 नए बहुउद्देश्यीय साइक्लोन और बाढ़ आश्रय बनाने की योजना बनाई है, जो आधुनिक तकनीक से सुसज्जित होंगे और आपदा के समय स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।
आज, ओडिशा का आपदा प्रबंधन मॉडल अन्य राज्यों के लिए एक उदाहरण बन गया है। न केवल मजबूत बुनियादी ढांचा बल्कि स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी ने भी आपदा के समय राज्य को बेहतर प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाया है। महिलाएं, स्वयं सहायता समूह और हजारों प्रशिक्षित स्वयंसेवक आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।