नए वक्फ कानून के खिलाफ याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मोहम्मद सुल्तान, CJI ने सुना दिया
इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम को चुनौती देने वाली 13 याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कहा था कि अब और याचिकाएं नहीं ली जाएंगी, वरना यह मामला अनियंत्रित हो जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता को नसीहत देते हुए कहा कि पहले बेंच पहले ही तय कर चुकी है कि सिर्फ पांच याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगी और अब किसी भी नई याचिका को नहीं सुना जाएगा।
याचिकाकर्ता मोहम्मद सुल्तान की ओर से पेश हुए अधिवक्ता को सीजेआई ने कहा, "अगर आपके पास कुछ अतिरिक्त आधार हैं तो आप हस्तक्षेप याचिका (intervention application) दायर कर सकते हैं।"
इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम को चुनौती देने वाली 13 याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कहा था कि अब और याचिकाएं नहीं ली जाएंगी, वरना यह मामला अनियंत्रित हो जाएगा।
क्या है मामला?
17 अप्रैल को पीठ ने फैसला किया कि केवल पांच याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगी। द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि 5 मई तक कोई वक्फ संपत्ति विमुक्त नहीं करेगी और केंद्रीय वक्फ परिषद व बोर्डों में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
अब तक इस अधिनियम के खिलाफ 72 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं, जिनमें एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलमा-ए-हिंद, डीएमके र कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के साथ-साथ मोहम्मद जावेद शामिल हैं।
इस अधिनियम को लेकर 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचित किया गया। संसद में इसके पारित होने के दौरान तीखी बहस हुई थी। राज्यसभा में 128 सांसदों ने पक्ष में और 95 ने विरोध में मतदान किया। लोकसभा में 288 ने समर्थन में और 232 ने विरोध में मतदान किया।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन अधिवक्ताओं को नोडल काउंसिल के रूप में नियुक्त किया है और उन्हें आपस में तय करने को कहा है कि कौन बहस करेगा। पीठ ने स्पष्ट किया कि 5 मई की अगली सुनवाई केवल प्रारंभिक आपत्तियों और अंतरिम आदेश पर होगी।