मोदी की गारंटी, शाह की रणनीति; दिल्ली चुनाव से BJP ने तैयार की बिहार की जमीन
- भाजपा नेतृत्व ने अपने प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों, देश के प्रमुख नेताओं को दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी। त्रिस्तरीय निगरानी तंत्र के साथ झुग्गी झोपड़ी के लिए विशेष अभियान चलाया।
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भाजपा नेतृत्व को केंद्र में लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के बाद भी बीते एक दशक से जो कांटा लगातार चुभ रहा था, आखिरकार शनिवार को उसे निकाल फेंका। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत ने न केवल बीते 27 साल का सत्ता का सूखा समाप्त कर दिया, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सफलता का लोहा भी मनवा दिया। दिल्ली के नतीजों का असर अन्य चुनावों पर भी पड़ेगा और बिहार के चुनावों से पहले भाजपा को एक मनोवैज्ञानिक बढ़त भी मिली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब भाजपा ने देशभर में अपना परचम लहराना शुरू किया तो दिल्ली ही ऐसी थी, जहां वह संगठनात्मक और चुनावी रूप से लंबे समय से मजबूत होने के बावजूद आम आदमी पार्टी के हाथों 2015 व 2020 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हारी। वह भी तब जबकि वह लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीटों पर भारी जीत दर्ज कर रही थी। यह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को एक टीस की तरह से सालता रहा था।
मोदी की गारंटी, शाह की रणनीति
इस बार भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली की कमान अपने हाथ में रखी। मोदी की गारंटी और शाह की रणनीति ने दिल्ली का चुनाव पलट दिया। दरअसल, गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के बाद से ही दिल्ली के लिए खास तैयारी शुरू कर दी थी। आम आदमी पार्टी के खिलाफ आक्रामक रवैया और उसी के अंदाज में घोषणाओं को मोदी की गारंटी के रूप में पेश किया। आठवें वेतन आयोग और आयकर में 12 लाख रुपये के आय तक छूट ने भाजपा की लकीर को आम आदमी पार्टी की लकीर से बड़ा कर दिया। भाजपा नेतृत्व ने अपने प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों, देश के प्रमुख नेताओं को दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी। त्रिस्तरीय निगरानी तंत्र के साथ झुग्गी झोपड़ी के लिए विशेष अभियान चलाया।
आम चुनाव से सबक लेकर खुद को मजबूत किया
सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने लोकसभा के नतीजों से कई सबक लेकर अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए गठबंधन के साथ खुद को भी मजबूत किया। इस पर अमल करते हुए उसने ओडिशा, हरियाणा एवं महाराष्ट्र में बड़ी जीत दर्ज की। जम्मू-कश्मीर में खुद को मजबूत बनाए रखा और झारखंड से सबक लेकर दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव की सीधे कमान संभाली। प्रदेश के नेताओं और प्रभारियों को चुनाव लड़ने तक सीमित रखा।
बिहार चुनावों के लिए जमीन तैयार की
भाजपा ने दिल्ली में बड़ी ताकत न होते हुए भी जद(यू) व लोजपा को एक-एक सीट देकर गठबंधन की मजबूती का भी संकेत दिया, वहीं लोकसभा चुनाव साथ-साथ लड़ी। उधर, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे थे। इससे भाजपा ने जहां विपक्षी इंडिया गठबंधन की कमजोरी को उजागर किया, वहीं अपनी गठबंधन की एकजुटता का सीधा संदेश भी दिया, जो आगामी बिहार चुनावों के उसकी मजबूत जमीन भी तैयार कर गया।
पहुंच से दूर वाले राज्यों पर नजर
भाजपा की भावी रणनीति उन राज्यों में सत्ता तक पहुंच बनाना है, जहां वह सत्ता से दूर है। इनमें तेलंगाना और पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर हैं। केरल और तमिलनाडु में वह विकल्प के रूप में खुद को तैयार कर रही है और गठबंधन की राजनीति की संभावना भी तलाश रही है।