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पहले ही हो गया था महाकुंभ का समापन, फिर सरकारी कुंभ चला; शंकराचार्य का बड़ा दावा

  • शंकराचार्य ने बुधवार को यह भी कहा कि अब चल रहे सरकारी आयोजन का उतना आध्यात्मिक महत्व नहीं है, जितना पारंपरिक मेले का है।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानThu, 27 Feb 2025 11:30 AM
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पहले ही हो गया था महाकुंभ का समापन, फिर सरकारी कुंभ चला; शंकराचार्य का बड़ा दावा

महाशिवरात्रि पर स्नान के साथ ही महाकुंभ का समापन बुधवार को हो गया है। अब इस आयोजन पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि महाकुंभ का समापन पहले ही हो चुका है और अब जो चल रहा था वह 'सरकारी कुंभ' था। हालांकि, यह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी सफाई के मुद्दे को लेकर महाकुंभ की तैयारियों पर सवालिया निशान लगा चुके हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, शंकराचार्य ने बुधवार को कहा, 'महाकुंभ पहले ही पूर्णिमा पर पूरा हो चुका है। जो अब चल रहा है वह सरकारी कुंभ है। असली कुंभ माघ के महीने में होता है। माघ महीने की पूर्णिमा बीत चुकी है और कुंभ में मौजूद कल्पवासी माघ महीने की पूर्णिमा होने के बाद पहले ही वापस लौट चुके हैं।'

उन्होंने यह भी कहा कि अब चल रहे सरकारी आयोजन का उतना आध्यात्मिक महत्व नहीं है, जितना पारंपरिक मेले का है।

इस दौरान उन्होंने गोहत्या के खिलाफ आंदोलन के लिए 17 मार्च की तारीख तय की है। उन्होंने कहा है, 'हमने सभी राजनीतिक दलों से साथ आने और यह बताने के लिए कहा है कि वे गोहत्या रोकना चाहते हैं या जारी रखना चाहते हैं, क्योंकि यह आजादी के समय से चली आ रही है। हमने उन्हें फैसला लेने के लिए 17 मार्च तक का समय दिया है।'

महाकुंभ

45 दिनों तक चले महाकुंभ का समापन हो गया है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस मेले में 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई। मेला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को शाम आठ बजे तक 1.53 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई तथा 13 जनवरी से बुधवार शाम आठ बजे तक स्नान करने वालों की संख्या 66.30 करोड़ पहुंच गई।

श्रद्धालुओं की यह संख्या चीन और भारत को छोड़कर अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों समेत सभी देशों की आबादी से अधिक है। साथ ही यह मक्का और वेटिकन सिटी जाने वाले श्रद्धालुओं से भी अधिक है।

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