Hindi Newsदेश न्यूज़Lok Sabha Speaker Om Birla statement in parliament says does not eat fish and is vegetarian

'मैं मछली नहीं खाता', संसद में किस बात पर बोले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

  • राजीव प्रताप रूड़ी सदन में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय से संबंधित पूरक प्रश्न पूछ रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में 95 करोड़ लोग मछली खाते हैं और एक करोड़ लोग मछली का उत्पादन करते हैं।

Niteesh Kumar भाषाTue, 11 Feb 2025 01:06 PM
share Share
Follow Us on
'मैं मछली नहीं खाता', संसद में किस बात पर बोले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान अपने खाने-पीने को लेकर बयान दिया। भारतीय जनता पार्टी के सांसद राजीव प्रताप रूड़ी की एक टिप्पणी के जवाब में उन्होंने कहा कि वह मछली नहीं खाते और शाकाहारी हैं। रूड़ी सदन में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय से संबंधित पूरक प्रश्न पूछ रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में 95 करोड़ लोग मछली खाते हैं और एक करोड़ लोग मछली का उत्पादन करते हैं।

ये भी पढ़ें:543 लोकसभा सांसदों में से 251 पर आपराधिक मामले, इन राज्यों का सबसे बुरा हाल
ये भी पढ़ें:नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार को भारत रत्न मिले, लोकसभा में जेडीयू सांसद लवली आनंद

भाजपा सांसद ने आगे कहा, ‘अध्यक्ष जी, पता नहीं आप मछली खाते हैं या नही।’ इस पर बिरला ने कहा कि मैं नहीं खाता। मैं शाकाहारी हूं। राजीव प्रताप रूड़ी के पूरक प्रश्न का उत्तर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पिछले एक दशक में मछली की पैदावार 100 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है। भारत मछली के उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर है।

2023-24 में 184 लाख टन मछली उत्पादन

राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि वर्ष 2013-14 में 95.7 लाख टन मछली का उत्पादन था, जो 2023-24 में 184.02 लाख टन उत्पादन हो गया। अंतरदेशीय मछली उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। अंतरदेशीय मछली उत्पादन 2013-14 में 61.36 लाख टन था जो 2023-24 में 139.07 लाख टन हो गया। उन्होंने कहा कि तीन महीने तक मछलियों के प्रजनन का समय होता है। इस दौरान उत्पादन नहीं होने के कारण इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को प्रति माह 4500 रुपये देने का प्रावधान है। इसके वितरण में कुछ कठिनाई इसलिए आती है, क्योंकि इसमें 1500 रुपये राज्य की हिस्सेदारी होती है और 1500 लाभार्थी स्वयं देता है। इनके शेयर राशि समय पर नहीं आने के कारण इनके वितरण में कुछ दिक्कतें आईं, जिसे दूर किया जाएगा।

अगला लेखऐप पर पढ़ें