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समाज को नष्ट कर देगा लिव-इन रिलेशनशिप; गडकरी बोले- सिर्फ मजे के लिए पैदा नहीं करें बच्चे

  • गडकरी ने देश में लिंगानुपात बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा समय आ गया जहां 1500 महिलाएं और केवल 1000 पुरुष हों तो हमें पुरुषों को दो पत्नी रखने की अनुमति देनी पड़ सकती है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानThu, 19 Dec 2024 08:44 AM
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक विवाह को समाज के नियमों के खिलाफ बताते हुए कहा कि इससे सामाजिक ढांचे का पतन हो सकता है। एक यूट्यूब पॉडकास्ट में लिव-इन रिलेशनशिप पर अपने विचार साझा करते हुए गडकरी ने इसे गलत करार दिया।

उन्होंने बताया कि एक बार वह ब्रिटिश संसद के दौरे पर लंदन गए थे, जहां उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से देश के प्रमुख मुद्दों के बारे में पूछा था। इस दौरान उन्होंने बताया कि यूरोपीय देशों में सबसे बड़ी समस्या यह है कि पुरुष और महिलाएं शादी करने में रुचि नहीं रखते और वे लिव-इन रिलेशनशिप को पसंद कर रहे हैं।

गडकरी ने यह भी बताया कि यदि लोग शादी नहीं करेंगे तो बच्चे कैसे होंगे और उन बच्चों का भविष्य क्या होगा? उन्होंने कहा, "अगर आप सामाजिक ढांचे को तोड़ देंगे तो इसका लोगों पर क्या असर होगा?"

भारत को अधिक बच्चों की आवश्यकता है या कम बच्चों की? इस विषय पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'सवाल यह नहीं है। माता-पिता का कर्तव्य है कि वे बच्चे पैदा करें और उनका पालन-पोषण ठीक से करें।' उन्होंने कहा कि यदि आप कहते हैं कि आपने मजे के लिए बच्चे पैदा किए हैं और फिर बिना जिम्मेदारी के देखते रहते हैं, तो यह काम नहीं करेगा।

गडकरी ने यह भी कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप समाज को नष्ट कर देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज में कुछ नियम होते हैं और उन्हें पालन करना चाहिए। समलैंगिक विवाह पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सामाजिक ढांचे के पतन का कारण बनेगा।

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या भारत में तलाक पर प्रतिबंध लगाना चाहिए तो उन्होंने कहा, "बिल्कुल नहीं। लेकिन लिव-इन रिलेशनशिप अच्छे नहीं होते।"

गडकरी ने देश में लिंगानुपात बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "अगर ऐसा समय आ गया जहां 1500 महिलाएं और केवल 1000 पुरुष हों तो हमें पुरुषों को दो पत्नी रखने की अनुमति देनी पड़ सकती है।"

गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को वैध करने से मना कर दिया था। हालांकि कोर्ट ने यह कहा था कि राज्य समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाले कानून बना सकते हैं, भले ही केंद्र सरकार इस पर कोई कानून न बनाए।

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