लेस्बियन कपल ने किया 5 साल की बच्ची को अगवा, फिर भी हाई कोर्ट ने क्यों दे दी जमानत
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह फैसला तब सुनाया जब यह पाया गया कि मामले में यौन शोषण का कोई प्रमाण नहीं था और आरोपियों ने बच्ची को केवल अपनी संतान पाने की इच्छा से अगवा किया था।
पांच साल की एक बच्ची को उनके माता-पिता से छीनने का आरोप झेल रहे एक लेस्बियन कपल को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। कोर्ट ने यह फैसला तब सुनाया जब यह पाया गया कि मामले में यौन शोषण का कोई प्रमाण नहीं था और आरोपियों ने बच्ची को केवल अपनी संतान पाने की इच्छा से अगवा किया था।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना मार्च 2024 की है जब घाटकोपर में एक पांच साल की बच्ची अपने माता-पिता के घर से लापता हो गई थी। उसके माता-पिता ने 18 मार्च को लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। जांच के दौरान यह सामने आया कि बच्ची को आरोपी जोड़े ने कुछ अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर उनके घर से अगवा किया था। 22 मार्च को बच्ची को मुंबई के उपनगर में आरोपी जोड़े के कब्जे से बरामद किया गया। आरोप है कि सह-आरोपियों ने बच्ची को 9 हजार रुपये में आरोपी जोड़े को सौंपा।
जोड़े पर भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) और धारा 370 (मानव तस्करी) के तहत मामला किया गया था। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट से जमानत की अपील की। जोड़े के वकील ने तर्क दिया कि उनका एकमात्र उद्देश्य बच्चा पैदा करने की इच्छा थी, न कि किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाना। वहीं अभियोजन पक्ष ने इस कार्रवाई को मानव तस्करी मानते हुए यह कहा कि बच्ची को लालच देकर उसके माता-पिता से उठाया गया और इसमें वित्तीय लेन-देन हुआ था।
हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में यौन शोषण का कोई प्रमाण न मिलने पर मानव तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया। न्यायाधीश पिताले ने कहा कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि बच्ची के साथ शारीरिक शोषण हुआ था। कोर्ट ने समलैंगिक समुदाय से संबंधित जोड़े की स्थिति को भी ध्यान में रखा और उनकी जेल में कठिनाइयों का उल्लेख किया। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि जोड़े को पहले ही समाज और जेल में तिरस्कार का सामना करना पड़ा है। यह देखते हुए कि जोड़े ने पहले ही आठ महीने हिरासत में बिता लिए थे और मानव तस्करी का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं था, कोर्ट ने उन्हें 25 हजार रुपये के व्यक्तिगत बांड और एक या दो जमानतकर्ताओं के साथ जमानत देने का आदेश दिया।