भारत के दुश्मनों सावधान! सेना ने बना लिया है खड्ग ड्रोन, रडार भी नहीं पकड़ पाएगा
- अधिकारियों का कहा है कि हाई स्पीड ड्रोन का 40 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से उड़ता है, जिसकी रेंज करीब डेढ़ किमी की है। ड्रोन 700 ग्राम तक के विस्फोटक साथ ले जाने में सक्षम है, जिसमें जीपीएस और हाई डेफिनिशन कैमरा लगा हुआ है।
रक्षा क्षेत्र में भारत की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। अब भारतीय सेना ने खड्ग कामिकेज ड्रोन तैयार किया है। खास बात है कि यह ड्रोन दिखने में जितना हल्का नजर आता है, लेकिन उतना ही घातक है। जानकारों का कहना है कि इस तरह के ड्रोन्स का इस्तेमाल रूस और यूक्रेन के युद्ध के दौरान भी हुआ है। खास बात है कि इसे सुसाइड ड्रोन भी कहा जाता है, जो दुश्मनों के ठिकाने खत्म करने में माहिर है।
कितना घातक है खड्ग
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों का कहा है कि हाई स्पीड ड्रोन का 40 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से उड़ता है, जिसकी रेंज करीब डेढ़ किमी की है। ड्रोन 700 ग्राम तक के विस्फोटक साथ ले जाने में सक्षम है, जिसमें जीपीएस और हाई डेफिनिशन कैमरा लगा हुआ है। कहा जा रहा है कि यह दुश्मन के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पैक्ट्रम जैमिंग को भी चकमा दे सकता है।
रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि खड्ग रडार की रेंज में भी नहीं आता है। इसकी लागत 30 हजार रुपये है। अगस्त में NAL यानी नेशनल एयरोस्पेस लैब ने स्वदेशी कामिकेज ड्रोन लॉन्च किए थे, जिनमें स्वदेशी इंजन लगा था। ये इंजन 1 हजार किमी तक की ड्रोन को पहुंचाने में सक्षम थे।
ड्रोन को लेकर लंबी है प्लानिंग
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि भारत अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए जल्द ही एक ड्रोन रोधी इकाई का गठन करेगा, क्योंकि आने वाले दिनों में मानव रहित यानों का 'खतरा' गंभीर होने वाला है। शाह ने कहा, 'आने वाले दिनों में ड्रोन का खतरा और भी गंभीर होने वाला है... हम इससे निपटने के लिए समग्र सरकार के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए रक्षा और अनुसंधान संगठनों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।'
भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित बीएसएफ के प्रशिक्षण शिविर में बीएसएफ के 60वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक समारोह में जवानों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि 'लेजर युक्त ड्रोन रोधी गन-माउंटेड' तंत्र के शुरुआती परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन को मार गिराने और उनका पता लगाने की क्षमता तीन प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)