खालिस्तानियों का बोरिया-बिस्तर पैक, भारत के लिए क्या हैं मार्क कार्नी के जीत के मायने
मार्क कार्नी की वापसी भारत और कनाडा के संबंधों के लिए अच्छी मानी जा रही है। वहीं जगमीत सिंह की हार से भी साफ संदेश गया है कि खालिस्तानियों का बोरिया बिस्तर पैक होने वाला है।

कनाडा में मार्क कार्नी की अगुआई वाली लिबरल पार्टी ने चौथी बार जीत हासिल की है। कनाडा का चुनाव परिणाम भारत और कनाडा के संबंधों के लिए भी बेहद मायने रखता है। खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह को भी इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो के हटते ही कनाडा का माहौल एकदम से बदल गया। खालिस्तानियों का बोरिया बिस्तर लगभग पैक हो गया है। वहीं मार्क कार्नी ने सत्ता संभालते ही हिंदुओं पर ध्यान देना भी शुरू कर दिया था। बीते दिनों रामनवमी के मौके पर भी वह मंदिर पहुंचे थे।
डोनाल्ड ट्रंप की धमकी और आर्थिक समस्याओं के बीच मार्क कार्नी ने राष्ट्रवाद को ही मुद्दा बनाया जिसका फायदा भी उन्हें मिला है। डोनाल्ड ट्रंप के बयानों से लिबरल पार्टी को फायदा पहुंचा। अमेरिका से मिल रही चुनौती को देखते हुए ही कनाडा में जल्दी चुनाव कराने का फैसला कर लिया गया। वरना अक्टूबर में कनाडा के आम चुनाव होने थे। कनाडा की इस जीत का श्रेय मार्क कार्नी को ही मिल रहा है।
जानकारों का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो के समय में भारत और कनाडा के जो संबंध खराब हुए थे वे फिर से सुधार की ओर बढ़ सकते हैं। मार्क कार्नी भारत की अहमियत समझते हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे। दूसरी तरफ जस्टिन ट्रूडो खालिस्तान समर्थकों के गठबंधन की वजह से भी भारत के खिलाफ जहर उगलते थे। वहीं मार्क कार्नी का रुख ही एकदम अलग है। हालांकि खालिस्तानियों को लेकर अब तक मार्क कार्नी ने भारत को कोई आश्वासन नहीं दिया है। ऐसे में यह बात का दावा अभी नहीं किया जा सकता कि खालिस्तान समर्थक मार्क कार्नी के कार्यकाल में कितना काबू में रहेंगे।
भारत और कनाडा के बीच व्यापारिक, ऊर्जा, कृषि और प्रौद्योगिकी के आदान प्रदान को लेकर संबंध अच्छे थे। वहीं डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद कनाडा की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ा है। ऐसे में भारत और कनाडा दोनों को आपसी व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने होंगे जिससे मिलकर इस ट्रेड वॉर की स्थिति का सामना किया जा सके।
देश के राष्ट्रीय सार्वजनिक प्रसारक ‘कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन’ ने शुरुआती रुझानों के आधार पर अनुमान जताया कि लिबरल पार्टी संसद की 343 सीट में से कंजर्वेटिव पार्टी से ज्यादा सीट जीतेगी। चुनावी विश्लेषकों के अनुसार, शुरुआत में कनाडा में माहौल लिबरल पार्टी के समर्थन में नहीं दिख रहा था लेकिन ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की कई बार बात की और उसके तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को कनाडा का गवर्नर संबोधित किया। उन्होंने कनाडा पर जवाबी शुल्क भी लगाए। ट्रंप के इन कदमों से कनाडा की जनता में आक्रोश बढ़ गया और राष्ट्रवाद की भावना प्रबल होने के कारण लिबरल पार्टी को जीतने में मदद मिली।
न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह खुद ही बर्नाबे सेंट्रल सीट से चुनाव हार गए। उन्होंने हार मानते हुए एनडीपी के नेता पद से इस्तीफा दे दिया। एनडीपी का जनाधार इतना खिसक गया कि राष्ट्रीय दल का दर्जा भी छिन गया। एनडीपी ने कुल 343 सीटों पर चुनाव लड़ा था। पिछले चुनाव में उन्हें 24 सीट हासिल हुई थी।