Vande Bharat: आ गई एक और खुशखबरी, सिर्फ तीन घंटे में ही कश्मीर पहुंचाएगी वंदे भारत
- Vande Bharat: जम्मू से श्रीनगर के बीच वंदे भारत से महज तीन घंटे 10 मिनट का समय लगेगा। इसके अलावा, दो और मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत जम्मू से श्रीनगर के लिए होगी। जम्मू से श्रीनगर ट्रेन रूट लगभग बनकर तैयार हो चुका है और जल्द ही इसकी लॉन्चिंग होगी।
Kashmir Vande Bharat: वंदे भारत का स्लीपर वर्जन जल्द लॉन्च होने जा रहा है। इसके जरिए लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्री आराम से सोते हुए सफर कर सकेंगे। लोगों को स्लीपर वंदे भारत का बेसब्री से इंतजार है। माना जा रहा है कि जल्द ही स्लीपर वंदे भारत राजधानी दिल्ली से श्रीनगर के लिए लॉन्च की जा सकती है। इस बीच, जम्मू से श्रीनगर के बीच वंदे भारत ट्रेन के टाइमटेबल का ऐलान हो गया है। सिर्फ तीन घंटे में ही कश्मीर जाने वाले यात्री बर्फबारी का मजा लेते हुए जम्मू से श्रीनगर पहुंच सकेंगे। यह रेल यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी जैसा अपडेट है।
जम्मू से श्रीनगर के बीच वंदे भारत से महज तीन घंटे 10 मिनट का समय लगेगा। इसके अलावा, दो और मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की शुरुआत जम्मू से श्रीनगर के लिए होगी। मालूम हो कि जम्मू से श्रीनगर ट्रेन रूट लगभग बनकर तैयार हो चुका है और जल्द ही इसकी लॉन्चिंग होगी। इसी रूट पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज चिनाब नदी पर बनाया गया है। इसी ब्रिज से वंदे भारत भी होकर गुजरेगी। यह ब्रिज पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा है।
जम्मू से श्रीनगर के बीच चलने वाली वंदे भारत कटरा स्टेशन से सुबह 8.10 पर चलेगी। इसके बाद यह श्रीनगर सुबह 11.20 पर पहुंच जाएगी। बीच में यात्री बर्फबारी व खूबसूरत वादियों का भी लुत्फ उठा सकेंगे। वापसी की बात करें तो यह ट्रेन श्रीनगर से दोपहर 12.45 पर चलेगी और फिर कटरा 3.55 पर पहुंच जाएगी। इन ट्रेनों के चलने से न सिर्फ स्थानीय लोगों को फायदा होगा, बल्कि कश्मीर आने वाले बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी लाभ मिलेगा।
हालांकि, अभी यह ट्रेन कब से शुरू होगी, इसके बारे में आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन टाइमटेबल जारी कर दिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि कुछ दिनों में ट्रेन के शुरू होने की तारीख भी सामने आ जाएगी। रेलवे ने वंदे भारत को श्रीनगर के लिए खास तरीके से डिजाइन किया है। इसमें कड़ाके की ठंड से निपटने के लिए पानी को गर्म रखने वाली तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है, ताकि माइनस जीरो डिग्री तापमान में ट्रेन में मौजूद पानी जम न जाए।