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भाजपा राज में भी हुआ था घोटाला, MUDA स्कैम में घिरी कर्नाटक सरकार का दावा; सीएम सिद्धारमैया के लिए बनेगा वरदान?

कर्नाटक सरकार फिलहाल मुडा स्कैम के आरोपों से घिरी हुई है। इसको लेकर सीएम सिद्धारमैया पर लगातार आरोप लग हैं। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए पूर्व की भाजपा सरकार भी घोटाले का आरोप लगा दिया है। आरोप के मुताबिक बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री रहते हुए कोविड फंड में गड़बड़ी हुई थी।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, बेंगलुरुFri, 6 Sep 2024 03:39 AM
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कर्नाटक सरकार फिलहाल मुडा स्कैम के आरोपों से घिरी हुई है। इसको लेकर सीएम सिद्धारमैया पर लगातार आरोप लग हैं। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए पूर्व की भाजपा सरकार भी घोटाले का आरोप लगा दिया है। आरोप के मुताबिक बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री रहते हुए कोविड फंड में गड़बड़ी हुई थी। इसके मुताबिक भाजपा शासन के दौरान करोड़ों रुपए का हेर-फेर किया गया था। इतना ही नहीं, इसकी फाइलें गायब करने का भी आरोप लगाया गया है। कर्नाटक के मंत्री एचके पाटिल ने गुरुवार को कहा कि जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा समिति ने कोविड-19 प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट में राज्य में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान करोड़ों रुपये की अनियमितताओं का उल्लेख किया है। इस मामले को सीएम सिद्धा के लिए वरदान की तरह देखा जा रहा है।

पाटिल के पास कानून और संसदीय मामलों का विभाग है। उन्होंने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट अधिकारियों की एक टीम को सौंपी गई है, ताकि इसका विश्लेषण किया जा सके और एक महीने में रिपोर्ट दाखिल की जा सके। मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कोविड-19 महामारी के दौरान अनियमितताओं पर जस्टिस माइकल डी कुन्हा आयोग की रिपोर्ट से संबंधित विषय उठाया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट पांच से छह खंडों में प्रस्तुत की गई है।

सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। इसके मुताबिक आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सैकड़ों रुपए का हेर-फेर हुआ है। इसके अलावा इस मामले में कई फाइलें भी गायब हैं। बार-बार कहने के बावजूद इन्हें पेश नहीं किया गया। प्रदेश में कोविड के दौरान कुल खर्च 13,000 करोड़ रुपए था। आधिकारिक तौर पर किसी आंकड़े का उल्लेख नहीं किया गया था, लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया कि लगभग 1000 करोड़ रुपये का गबन किया गया था।

रिपोर्ट को अगले छह महीनों के भीतर अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी पेश किया जा सकता है। सरकार ने कमेटी का कार्यकाल छह महीने बढ़ा दिया है, इसलिए वह अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि कई खंडों वाली इस 1000 पन्नों की अंतरिम रिपोर्ट का अब अधिकारी विश्लेषण करेंगे। इसके बाद एक महीने से भी कम समय में सरकार को सौंपेंगे।

घोटाले बनाम घोटाले के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। एनडीटीवी के मुताबिक उन्होंने कहा कि जब भी कोई महत्वपूर्ण रिपोर्ट आती है तो उसे आंख के बदले आंख जैसा करार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मुडा का मामला दो महीने से भी कम का है। वहीं, कुन्हा आयोग एक साल पहले बनाया गया था। ऐसे में इस तरह के आरोप कैसे लगाए जा सकते हैं।

कुन्हा आयोग की रिपोर्ट को कर्नाटक में कांग्रेस और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के लिए वरदान की तरह देखा जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में भाजपा मूडा स्कैम को लेकर काफी आक्रामक रहे हैं। यहां तक कि राज्यपाल ने सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की भी मंजूरी दे डाली। इसको लेकर मुख्यमंत्री कोर्ट की शरण में जा चुके हैं। कथित घोटाला मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण या मुडा द्वारा भूमि आवंटन में अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। ऐसे आरोप हैं कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मुआवजे के तौर पर जमीन का आवंटन बदले में दी गई जमीन की कीमत से कहीं ज्यादा है।

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