'कल्याण बनर्जी ने मुझे गाली दी, जानबूझकर हंगामा काटा'; वक्फ पर JPC की बैठक में क्या-क्या हुआ
- कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए समिति पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि समिति जल्दबाजी में वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण करना चाहती है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में शुक्रवार को जोरदार हंगामा हुआ। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कल्याण बनर्जी पर समिति अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप लगाया। इसके बाद, बैठक में शामिल 10 विपक्षी सदस्यों को अध्यक्ष जगदंबिका पाल के खिलाफ विरोध जताने तथा प्रक्रियाओं को लेकर मनमानी करने का आरोप लगाए जाने के बाद शुक्रवार को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।
जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया, "हमें दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। आज हमने जम्मू-कश्मीर से आए मीरवाइज उमर फारूक के प्रतिनिधिमंडल को समय दिया, जो विपक्ष की मांग थी... पहली बार हमने देखा कि ओवैसी साहब, जो आमतौर पर संसद में बिलों में हिस्सा नहीं लेते, वे भी बिल में शामिल हुए। और जिस तरह से कल्याण बनर्जी ने असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया और मुझे गाली दी, मुझे लगता है कि यह जानबूझकर किया गया था। मैंने उन्हें बार-बार अनुरोध किया, लेकिन वे हंगामा करने के लिए तैयार थे। इसके बाद निशिकांत दुबे ने उनके साथ अन्य सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया।" निलंबित सदस्यों में बनर्जी और नदीम-उल हक (तृणमूल कांग्रेस), मोहम्मद जावेद, इमरान मसूद और सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), ए राजा और मोहम्मद अब्दुल्ला (द्रमुक), असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), मोहिबुल्लाह (सपा) और अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी) शामिल हैं।
क्या बोले कल्याण बनर्जी?
बनर्जी ने कहा, “21 जनवरी को हमारी बैठक के बाद, अध्यक्ष ने सदस्यों को सूचित किया था कि अगली बैठक 24-25 जनवरी को होगी। विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया और ए राजा ने भी पत्र लिखकर 30 या 31 जनवरी के बाद बैठक निर्धारित करने का अनुरोध किया। लेकिन अध्यक्ष ने हमारी बात नहीं सुनी।’’ उन्होंने कहा कि शुक्रवार की बैठक का एजेंडा गुरुवार देर रात बदल दिया गया और आधी रात के करीब सदस्यों को सूचित किया गया।
बनर्जी ने कहा, “सभापति विपक्षी सदस्यों के साथ घरेलू सहायकों की तरह व्यवहार कर रहे हैं और उन्हें इधर-उधर जाने का आदेश दे रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही में तेजी लाई जा रही है। तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा कि जब बैठक चल रही थी तो पाल को कई फोन आए और उन्होंने आरोप लगाया कि वह कार्यवाही के संचालन के लिए सरकार से आदेश ले रहे हैं।
निलंबन पर विपक्ष का पलटवार
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए समिति पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि समिति जल्दबाजी में वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण करना चाहती है। मसूद ने कहा, "हमने 25 और 26 जनवरी को बैठक करने पर सहमति दी थी, लेकिन इसे 27 जनवरी तक टाल दिया गया। समिति मनमानी कर रही है। वे वक्फ संपत्तियों को कुचलना चाहते हैं। हमने 27 जनवरी की बैठक को 31 जनवरी तक स्थगित करने की मांग की थी, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया। जेपीसी का माहौल ठीक नहीं है।"
मीरवाइज उमर फारूक का विरोध
जम्मू-कश्मीर, लेह और कारगिल से आए उलेमाओं के प्रतिनिधिमंडल की ओर से मीरवाइज उमर फारूक ने बैठक में वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर के मुसलमानों के लिए यह संशोधन स्वीकार्य नहीं है। यह समुदाय को कमजोर करने का प्रयास है। हम उम्मीद कर रहे थे कि समिति कश्मीर का दौरा करेगी और विधेयक पर आगे बढ़ने से पहले जनता की वास्तविक चिंताओं को समझेगी।" यह पहली बार है जब लगभग निष्क्रिय हो चुके अलगाववादी समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख मीरवाइज ने पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद कश्मीर घाटी से बाहर कदम रखा है।
विधेयक पर बढ़ता गतिरोध
विधेयक पर बहस के लिए पर्याप्त समय न दिए जाने का आरोप लगाते हुए विपक्षी सदस्यों ने बैठक की शुरुआत में ही विरोध जताया। हंगामे और निलंबन के कारण समिति की कार्यवाही बाधित रही। जेपीसी की अगली बैठक अब 27 जनवरी को प्रस्तावित है, लेकिन विपक्ष ने इसे स्थगित करने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार विधेयक पर गंभीरता नहीं दिखा रही है।
क्या बोले भाजपा सांसद?
भाजपा सदस्य अपराजिता सारंगी ने दावा किया कि विपक्षी सदस्यों का आचरण ‘शर्मनाक’ था क्योंकि वे बैठक के दौरान लगातार हंगामा कर रहे थे और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। इससे पहले, संसदीय समिति की बैठक में हंगामा हुआ और विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि मसौदा विधेयक में प्रस्तावित बदलावों के अध्ययन के लिए उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि समिति 29 जनवरी को अपनी अंतिम रिपोर्ट स्वीकार करेगी। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया था और इसके बाद इसे संयुक्त समिति को भेज दिया गया था।