जस्टिस शेखर यादव ने कुछ भी गलत नहीं कहा; इलाहाबाद HC के जज के समर्थन में उतरे गिरिराज सिंह
- न्यायाधीश ने विहिप के एक समारोह में कहा था कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के विवादास्पद बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। गिरिराज सिंह ने कहा, "उनके बयान सही हैं। उन्होंने यह बयान विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में दिया था, न कि कोर्ट में।" आपको बता दें कि जस्टिस यादव ने कथित तौर पर कहा था कि भारत को हिंदू बहुल राष्ट्र के रूप में काम करना चाहिए और यह हिंदू मत के अनुसार चलना चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा राज्यसभा उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ पर की गई टिप्पणी की भी निंदा की है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा की गई टिप्पणियां बेहद गैर-जिम्मेदाराना हैं।"
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के कथित विवादास्पद बयानों से संबंधित खबरों पर मंगलवार को संज्ञान लिया और इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी मांगी है। आपको यह भी बता दें कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना से कथित विवादित बयान देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है।
न्यायाधीश ने विहिप के एक समारोह में कहा था कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। न्यायमूर्ति यादव ने यह टिप्पणी आठ दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में विहिप के प्रांतीय विधिक प्रकोष्ठ एवं हाईकोर्ट इकाई के सम्मेलन को संबोधित करते हुए की।
बहुमत के अनुसार काम करने वाले कानून सहित विभिन्न मुद्दों पर बात करते न्यायमूर्ति यादव का वीडियो एक दिन बाद व्यापक रूप से प्रसारित हुआ। इस पर विपक्षी दलों सहित विभिन्न धड़ों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उन्होंने न्यायाधीश के कथित बयानों पर सवाल उठाए तथा इसे घृणास्पद भाषण करार दिया।
अधिवक्ता और गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स’ के संयोजक प्रशांत भूषण ने मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश खन्ना को एक पत्र लिखकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के आचरण की ‘आंतरिक जांच’ कराने का अनुरोध किया।