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भारत का होगा बांग्लादेश जैसा हाल पर भड़के धनखड़, जमकर सुनाया; निशाने पर कांग्रेस नेता?

Jagdeep Dhankar News: भारत का हाल भी बांग्लादेश जैसा होगा कहने वालों पर राज्यसभा के उपसभापति जगदीप धनखड़ का गुस्सा भड़क उठा है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए जमकर सुनाया और चिंता जताई कि कैसे कोई भारत की तुलना बांग्लादेश से कर सकता है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तानSun, 11 Aug 2024 05:05 AM
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Jagdeep Dhankar News: भारत का हाल भी बांग्लादेश जैसा होगा कहने वालों पर राज्यसभा के उपसभापति जगदीप धनखड़ का गुस्सा भड़क उठा है। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए जमकर सुनाया और चिंता जताई कि कैसे कोई भारत की तुलना बांग्लादेश से कर सकता है। धनखड़ ने यह बातें जोधपुर में राजस्थान हाई कोर्ट के प्लेटिनम जुबिली समारोह में कहीं। उन्होंने कहा कि कैसे इस देश का नागरिक जो संसद सदस्य रह चुका है और एक अन्य जिसने कई विदेश सेवाएं देखी हैं, ऐसी बातें कर सकता है। माना जा रहा है कि जगदीप धनखड़ ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर पर निशाना साधा है। इन दोनों ने भारत में भी बांग्लादेश जैसी नौबत आने की बात कही थी।

धनखड़ ने यह भी कहा कि राष्ट्र विरोधी ताकतें अपनी हरकतों को छिपाने या वैध बनाने के लिए हमारी संवैधानिक संस्थाओं के मंचों का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय हित सर्वोच्च है। धनखड़ ने कहा कि यह सर्वोच्च प्राथमिकता है, एकमात्र प्राथमिकता है और हम किसी भी चीज से पहले राष्ट्र को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राज्यसभा के सभापति ने यह भी कहा कि विधायिका निर्णय नहीं लिख सकती, इसी तरह न्यायपालिका कानून नहीं बना सकती या ऐसे निर्देश नहीं दे सकती जो कानून से परे हों। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी संस्थाओं की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख है...अगर एक संवैधानिक संस्था के क्षेत्र में दूसरे का अतिक्रमण हो तो यह खतरनाक होगा।

धनखड़ ने कहा कि हमारे लोकतंत्र के लिए नापाक मंसूबे वालों से संस्थाओं को बचाने के लिए काम करें और अगर वे कुछ पैठ बनाने में कामयाब भी हो जाते हैं, तो चुप न रहें, उन्हें बेअसर करें। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि भारत विरोधी ताकतें हमारी प्रगति में बाधा डालने की कोशिश कर रही हैं और विभिन्न स्तरों पर काम कर रही हैं। ये ताकतें हमारी संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बना रही हैं, उन्हें कलंकित, कमजोर कर रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की न्यायिक प्रणाली और उसकी कार्यक्षमता उसकी लोकतांत्रिक जीवंतता को परिभाषित करती है। किसी भी सरकार के लिए एक स्वतंत्र न्याय प्रणाली आवश्यक है, क्योंकि यह जीवनरेखा है।

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