INS विक्रांत: 1971 में दुश्मनों का काल बना युद्धपोत, अब पहलगाम हमले के बाद फिर चर्चा
1971 के युद्ध में दुश्मनों के हौसले तोड़ने वाला आईएनएस विक्रांत अब नई तकनीक, ऊर्जा और नए अवतार के साथ एक बार फिर चर्चा में है। नौसेना ने हाल ही में एंटी-शिप युद्धाभ्यास कर अपनी समुद्री ताकत का प्रदर्शन किया है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हालिया आतंकी हमले के बाद भारत की सुरक्षा तैयारियां एक बार फिर केंद्र में हैं। रविवार को भारतीय नौसेना ने अरब सागर में INS विक्रांत से एंटी-शिप युद्धाभ्यास कर अपनी समुद्री ताकत का प्रदर्शन किया। 1971 की जंग में आईएनएस विक्रांत ने समुद्र के सीने पर अपना लोहा मनवाया था और दुश्मन सेना के दांत खट्टे कर दिए थे। पाकिस्तान की नौसेना को घुटनों पर लाने वाला यही युद्धपोत अब नए अवतार में एक बार फिर चर्चा में है।
क्या हुआ इस युद्धाभ्यास में?
बीते रविवार को INS विक्रांत से MiG-29K लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और एंटी-शिप ऑपरेशन्स का अभ्यास किया। इसमें ALH ध्रुव हेलिकॉप्टर, सी किंग और कम्युनिकेशन इंटरसेप्शन यूनिट्स भी शामिल रहीं। नौसेना के अनुसार, अभ्यास का उद्देश्य तेज प्रतिक्रिया क्षमता, सटीक हमले और नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर स्किल्स को परखना था। नौसेना ने कहा कि वह भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए कहीं भी और किसी भी समय ऐक्शन के लिए तैयार हैं।
INS विक्रांत: नाम ही काफी है
भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत साल 2022 में नौसेना में शामिल हुआ था। लेकिन यह नाम 1971 की ऐतिहासिक भारत-पाक युद्ध से जुड़ी वीरगाथाओं के लिए पहले से ही मशहूर है। 1971 की जंग में पुराने INS विक्रांत ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी नौसेना की नाकेबंदी में प्रमुख भूमिका निभाई थी। यह युद्धपोत चिटगांव, कोक्स बाजार और मोंगला जैसे ठिकानों पर हवाई हमले कराने में सफल रहा, जिससे पाकिस्तान की सैन्य आपूर्ति टूट गई। नया विक्रांत उसी गौरव को आगे बढ़ा रहा है, इस बार और भी ज्यादा घातक तकनीक और स्वदेशी ताकत के साथ।
पहलगाम हमले के बाद क्यों चर्चा
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं। समुद्री सीमाओं से घुसपैठ और हथियारों की आपूर्ति के खतरे को देखते हुए INS विक्रांत जैसे पोत की भूमिका बेहद अहम हो जाती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की "थ्री-डोमेन डिफेंस स्ट्रैटेजी" में अब समुद्री मोर्चा पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। INS विक्रांत न सिर्फ एक विमानवाहक पोत है, बल्कि यह एक चलता-फिरता एयरबेस, स्ट्राइक फोर्स और दुश्मन सेना पर मनौवैज्ञानिक दबाव का प्रतीक है।
आईएनएस विक्रांतः पाकिस्तान के लिए बुरा सपना कैसे
पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव के बीच आईएनएस विक्रांत की अचानक चर्चा इसलिए भी हो रही है, क्योंकि आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने से भारत के पास अब दो विमानवाहक युद्धपोत हो गए हैं। इस तरह भारत ब्रिटेन, अमेरिका, प्रांस, चीन और रूस जैसे उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। दूसरी ओर पाकिस्तान के पास अब तक कोई भी युद्धपोत नहीं है।