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पाक की गीदड़भभकी के बीच रूस से भारत को मिला 'आसमान का रक्षक', अब दुश्मन का निकलेगा दम

पाकिस्तान की गीदड़भभकी के बीच भारत को रूस से एयर डिफेंस मिसाइलें मिली हैं। 260 करोड़ से अधिक कीमत की ये मिसाइलें बेहद कम दूरी में भी लड़ाकू विमान, ड्रोन और हेलिकॉप्टर उड़ाने में सक्षम हैं।

Gaurav Kala एएनआई, नई दिल्लीSun, 4 May 2025 12:24 PM
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पाक की गीदड़भभकी के बीच रूस से भारत को मिला 'आसमान का रक्षक', अब दुश्मन का निकलेगा दम

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान अपनी गीदड़भभकी से बाज नहीं आ रहा है। सीमा पर पाकिस्तान ने लगातार 10वें दिन फायरिंग की। बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अपनी हवाई रक्षा ताकत में बड़ा इजाफा किया है। सेना को रूसी मूल की Igla-S मिसाइलों की नई खेप मिल चुकी है, जो अब बॉर्डर पर फॉरवर्ड लोकेशनों में तैनात की जा रही है। इन मिसाइलों की खासियत है कि ये दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को बेहद कम दूरी से भी मार गिराने में सक्षम हैं।

भारतीय सेना को मिली ये मिसाइलें बहुत कम दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम का हिस्सा हैं। करीब 260 करोड़ रुपये की लागत से हुई यह खरीद भारत सरकार की आपातकालीन खरीद नीति के तहत की गई है। सेना ने इसी के तहत अब 48 लॉन्चर और 90 और मिसाइलें खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

IGLA-S मिसाइलों की खासियत

Igla-S मिसाइलें इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं। सेना पहले से ही इस प्रणाली के पुराने वर्जन का इस्तेमाल कर रही थी। अब नए संस्करण से हवाई खतरों से निपटने की क्षमता कई गुना बढ़ेगी। Igla-S इन्फ्रारेड (आईआर) सीकर पर आधारित है, यानी यह दुश्मन के एयरक्राफ्ट के इंजन की गर्मी को ट्रैक करके निशाना बनाती है, जिससे इसे रडार से पकड़ना कठिन होता है। इसकी रेंज करीब 6 किलोमीटर तक है, यानी यह कम ऊंचाई पर 6 किमी दूर तक किसी भी लक्ष्य को गिरा सकती है। यह मिसाइल लगभग 3.5 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ रहे टारगेट को निशाना बना सकती है।

चलाने में आसान और हल्का

यह कंधे पर ले जाने योग्य सिस्टम है, जिसे कठिन इलाकों में आसानी से ले जाया जा सकता है और कुछ सेकंड में ऑपरेशन के लिए तैयार किया जा सकता है। Igla-S में प्रॉक्सीमिटी फ्यूज भी होता है, जो टारगेट से सीधे न टकराने पर भी उसे निष्क्रिय करने में सक्षम होता है। यह प्रणाली खासकर ड्रोन व UAVs से निपटने में बेहद असरदार मानी जाती है, जो कि आधुनिक युद्ध की सबसे बड़ी चुनौती बन चुके हैं। इसके रख-रखाव और तैनाती की लागत अपेक्षाकृत कम है और यह कई युद्धों में कारगर साबित हुई है।

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इसके साथ ही सेना ने स्वदेशी 'इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडक्शन सिस्टम' भी तैनात किया है, जो 8 किलोमीटर दूर से ड्रोन को पकड़ सकता है और लेजर से मार गिरा सकता है। DRDO एक और उच्च क्षमता वाली लेजर प्रणाली पर काम कर रहा है जो भविष्य में दुश्मन के बड़े ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और विमानों को भी टारगेट कर सकेगी।

बता दें कि हाल ही में जम्मू क्षेत्र में सेना ने एक पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराने में सफलता पाई है। ये सारी तैयारियां स्पष्ट संकेत हैं कि भारत अब न केवल आतंकी हमलों का जवाब देगा, बल्कि किसी भी संभावित हवाई हमले के लिए पूरी तरह तैयार है।

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