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समुद्र में बढ़ेगी भारत की ताकत, नौसेना को मिलेगी दो परमाणु पनडुब्बियां, दर्जनों ड्रोन का भी सौदा

  • भारतीय नौसेना को दो न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक सबमरीन मिलेंगी, जो हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाएंगी। विशाखापत्तनम के शिप बिल्डिंग सेंटर के साथ इन दो सबमरीन के निर्माण के लिए लगभग 45,000 करोड़ रुपये का सौदा होगा।

Himanshu Tiwari एएनआईWed, 9 Oct 2024 11:10 PM
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भारतीय नौसेना और रक्षा बलों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट समिति ने दो न्यूक्लियर सबमरीन के स्वदेशी निर्माण और अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए महत्वपूर्ण सौदों को मंजूरी दी है। सौदों के मुताबिक, भारतीय नौसेना को दो न्यूक्लियर-पावर्ड अटैक सबमरीन मिलेंगी, जो हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाएंगी। विशाखापत्तनम के शिप बिल्डिंग सेंटर के साथ इन दो सबमरीन के निर्माण के लिए लगभग 45,000 करोड़ रुपये का सौदा होगा, जिसमें निजी क्षेत्र की कंपनियों जैसे लार्सन एंड टुब्रो की प्रमुख भागीदारी होगी।

न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यह सौदा काफी समय से लंबित था और भारतीय नौसेना इसे एक महत्वपूर्ण जरूरत के तौर पर देख रही थी ताकि समुद्र के अंदर नौसेना की क्षमताओं में कमी को पूरा किया जा सके। भारत की योजना है कि वह भविष्य में छह ऐसे सबमरीन अपने बेड़े में शामिल करे। ये सबमरीन 'एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल' परियोजना के तहत बनाई जाएंगी जो कि अरिहंत वर्ग के तहत निर्माणाधीन पांच न्यूक्लियर सबमरीन से अलग हैं।

कैबिनेट समिति द्वारा आज मंजूर किए गए अन्य प्रमुख सौदे के तहत अमेरिका की जनरल एटोमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद भी शामिल है। यह सौदा विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध के तहत किया जा रहा है, जिसमें दोनों सरकारों के बीच सहमति बनी है। इस सौदे को 31 अक्टूबर से पहले मंजूरी देनी थी, क्योंकि उस समय तक अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता थी। अब इसे अगले कुछ दिनों में साइन किया जाएगा। अनुबंध के अनुसार, रक्षा बल सौदे पर हस्ताक्षर करने के चार साल बाद ड्रोन प्राप्त करना शुरू करेंगे।

भारतीय नौसेना को इन 31 ड्रोन में से 15 ड्रोन मिलेंगे, जबकि भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन प्राप्त होंगे। इसके अलावा ये सभी ड्रोन उत्तर प्रदेश के दो बेसों पर एक साथ तैनात किए जाएंगे। उम्मीद की जा रही है कि इन ड्रोन में भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और निजी क्षेत्र की कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज द्वारा निर्मित उपकरणों का उपयोग किया जाएगा, जो 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत किए जाएंगे। ये ड्रोन अशांत वक्त में निगरानी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।

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