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चीन के होश उड़ाने को तैयार भारत, LAC पर सेना की ताकत बढ़ाने के लिए 11 बड़े प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी

  • 2020 में हुई गलवान घाटी झड़प के बाद से भारत ने लद्दाख में अपनी सैन्य क्षमताओं को आधुनिक बनाने पर जोर दिया है। इन प्रोजेक्ट्स का मकसद ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में सेना की तेज तैनाती और परिचालन की तैयारी को और मजबूत करना है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSat, 11 Jan 2025 08:46 PM
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भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के मद्देनजर, लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने के लिए नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (एनबीडब्ल्यूएल) ने 11 महत्वपूर्ण रक्षा प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है। ये प्रोजेक्ट्स संरक्षित इलाकों में विकसित किए जाएंगे, जिनमें दूरसंचार नेटवर्क, गोला-बारूद भंडारण सुविधाएं और अन्य रणनीतिक ढांचे शामिल हैं। 2020 में हुई गलवान घाटी झड़प के बाद से भारत ने लद्दाख में अपनी सैन्य क्षमताओं को आधुनिक बनाने पर जोर दिया है। इन प्रोजेक्ट्स का मकसद ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में सेना की तेज तैनाती और परिचालन की तैयारी को और मजबूत करना है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन प्रमुख प्रोजेक्ट्स में शामिल किया गया है उनमें इन्फैंट्री बटालियन कैंप और आर्टिलरी रेजिमेंट पोस्ट की स्थापना, आर्मी सिग्नल कॉर्प्स के तहत मोबाइल टेलीकॉम टावर लगाना, गोला-बारूद भंडारण के लिए फॉर्मेशन एम्युनिशन स्टोरेज फैसिलिटीज (FASF) बनाना शामिल है। इसके अलावा ट्रैफिक कंट्रोल पोस्ट और बोट शेड क्षेत्र का निर्माण और हानले गांव में कचरा निपटान और प्रोसेसिंग प्लांट लगाना भी शामिल है।

इनमें से ज्यादातर सुविधाएं चांगथांग हाई एल्टीट्यूड कोल्ड डेजर्ट वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी और काराकोरम-नुब्रा-श्योक वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी में बनाई जाएंगी। ये इलाके अपनी अनोखी जैव विविधता के लिए जाने जाते हैं और सेना की रणनीतिक उपस्थिति के लिए बेहद अहम माने जाते हैं। गलवान झड़प ने ये साबित किया कि ऊंचाई वाले इलाकों में मज़बूत सैन्य ढांचे की कितनी ज़रूरत है। सेना ने तब से अपनी आपूर्ति लाइनों को बेहतर बनाने, आधुनिक संचार नेटवर्क स्थापित करने और फॉरवर्ड पोस्ट्स के पास गोला-बारूद भंडारण को प्राथमिकता दी है।

मोबाइल टेलीकॉम टावर और बटालियन कैंप्स की स्थापना से लद्दाख के दुर्गम इलाकों में बेहतर कनेक्टिविटी और परिचालन समन्वय सुनिश्चित होगा। वहीं, गोला-बारूद भंडारण की नई सुविधाएं सेना को किसी भी संभावित खतरे का सामना करने के लिए तत्पर बनाए रखेंगी।

हालांकि ये प्रोजेक्ट्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम हैं, एनबीडब्ल्यूएल ने पर्यावरण पर इनके प्रभाव को कम करने के लिए शर्तें लगाई हैं। इनमें दुर्लभ प्रजातियों जैसे स्नो लेपर्ड, तिब्बती मृग और प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के उपाय शामिल हैं। रक्षा मंत्रालय को कचरा प्रबंधन और आवास संरक्षण प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने की हिदायत दी गई है। लद्दाख में सेना के बुनियादी ढांचे का विकास भारत के व्यापक रक्षा दृष्टिकोण में बदलाव को दर्शाता है। संवेदनशील सीमाई क्षेत्रों में आधुनिकरण और ढांचे के निर्माण को प्राथमिकता देकर भारत न केवल मौजूदा खतरों का सामना कर रहा है, बल्कि दीर्घकालिक चुनौतियों के लिए भी तैयार हो रहा है।

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