चीन के दबदबे को खत्म करने की तैयारी, अमेरिका के साथ खनिज साझेदारी समझौते की पेशकश
- भारत ने इस महीने की शुरुआत में मंत्री की यूएस यात्रा के दौरान यह मुद्दा उठाया था। साथ ही, दोनों देशों ने अहम खनिज आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
भारत ने अमेरिका के साथ खनिज साझेदारी समझौते (CMPA) की पेशकश की है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन जैसे उद्योगों को अमेरिकी बाजार में कुछ लाभ मिलेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी। भारत ने इस महीने की शुरुआत में मंत्री की यूएस यात्रा के दौरान यह मुद्दा उठाया था। साथ ही, दोनों देशों ने अहम खनिज आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। कोबाल्ट, तांबा, लिथियम, निकल और दुर्लभ पृथ्वी जैसे महत्वपूर्ण खनिज पवन टर्बाइन से लेकर इलेक्ट्रिक कारों तक, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
खनिज क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे पर लगाम लगाने के मकसद से इसे काफी अहम माना जा रहा है। भारत और अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया व जापान भी महत्वपूर्ण खनिजों के सप्लाई चेन को सुरक्षित करने पर काम कर रहे हैं। इसमें खनिजों के भंडार, उनकी खुदाई और प्रॉसेसिंग से लेकर फाइनल यूज तक की प्रक्रिया शामिल है। फिलहाल ज्यादातर माइन्स और प्रोडक्शन फैसिलिटी पर चीन का कंट्रोल नजर आता है। जापान और अमेरिका के बीच भी पार्टनरशिप एग्रीमेंट हुआ है, जिसके तहत गैर-अमेरिकी कंपनियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
'अमेरिकी उद्योग की भारत में निवेश बढ़ाने में गहरी रुचि'
पीयूष गोयल ने कहा, 'मैंने सुझाव दिया है कि हमारे खनिजों के समझौता ज्ञापन को महत्वपूर्ण खनिजों की भागीदारी समझौते में बदल दिया जाना चाहिए। साथ ही, इसे मुक्त व्यापार समझौते की ओर बढ़ने के लिए प्रारंभिक बिंदु बनाना होगा।' उन्होंने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस किसी भी देश के साथ एफटीए को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है। पिछले साल अमेरिका और जापान ने महत्वपूर्ण खनिजों के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। गोयल ने यह भी कहा कि उनकी यात्रा के दौरान अमेरिकी उद्योग ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने में गहरी रुचि दिखाई।
'10 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश पर विचार'
केंद्रीय मंत्री ने नाम बताए बिना कहा कि एक कंपनी डेटा सेंटर और एआई के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में 10 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश पर विचार कर रही है। गोयल की यात्रा के दौरान प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन के साथ 10 वर्षों के सहयोग और समन्वय रहा। इसके चलते व्यापार और निवेश के क्षेत्र में दोनों देशों के संबंध आज ऐसे दौर में प्रवेश कर गये हैं जहां संशय और विवाद की जगह भारत के प्रति नया विश्वास स्थापित हुआ है। गोयल इस महीने के शुरू में अमेरिका की अपनी 4 दिवसीय यात्रा पर गए थे। इस दौरान उन्होंने पहले 2 दिन न्यूयार्क में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों, एसोसिएशनों और निवेशकों के साथ बैठकें कीं। यात्रा के दूसरे चरण में उन्होंने वाशिंगटन में भारत-अमेरिका सीईओ फोरम की बैठक में भाग लिया।
(एजेंसी इनपुट के साथ)