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ड्रोन वॉर की दुनिया में भारत की शानदार एंट्री! पाक में घुसे बिना खत्म किए आतंकी, अभी और बढ़ेगी ताकत

ऑपरेशन सिंदूर और MQ-9B ड्रोन डील ने भारत को ड्रोन युद्ध की दुनिया में एक नया मुकाम दिलाया है। यह न केवल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाता है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 8 May 2025 11:17 AM
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ड्रोन वॉर की दुनिया में भारत की शानदार एंट्री! पाक में घुसे बिना खत्म किए आतंकी, अभी और बढ़ेगी ताकत

भारत ने हाल के वर्षों में रक्षा क्षेत्र में ऐसी छलांग लगाई है, जो न केवल क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बदल रही है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी भारत को एक उभरती हुई सैन्य ताकत के रूप में स्थापित कर रही है। 7 मई को भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को भारत की ड्रोन युद्ध क्षमता का लोहा मनवाया। इस ऑपरेशन में भारत ने बिना अपनी सीमा लांघे, पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। यह उपलब्धि भारत की एडवांस ड्रोन तकनीक और रणनीतिक सूझबूझ का प्रतीक है। इजरायल ने फिलिस्तीन के हमास, यमन के हूती और हिजबुल्लाह व ईरान के खिलाफ पूरी दुनिया को अपनी ड्रोन ताकत दिखाई है। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध में भी सबसे ज्यादा ड्रोनों का इस्तेमाल हो रहा है। अमेरिका वर्षों से ड्रोन के जरिए अपने दुश्मनों को खत्म कर रहा है। ऐसे में अब भारत ने भी ड्रोन वॉर की इस दुनिया में शानदार एंट्री मारी है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कार्रवाई महज एक शुरुआत है। भारत की ड्रोन ताकत आने वाले वर्षों में MQ-9B प्रीडेटर के जरिए बहुत ज्यादा बढ़ने वाली है। आइए विस्तार से समझते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर: बिना घुसे, आतंक का सफाया

7 मई को भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया। बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद, कोटली, और सियालकोट जैसे क्षेत्रों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के कई आतंकी ठिकाने तबाह किए गए। इस ऑपरेशन की सबसे खास बात थी कि भारत ने अपनी सीमा के भीतर रहते हुए, एडवांस ड्रोन और प्रेसिजन हथियारों का इस्तेमाल कर यह कार्रवाई की।

कैसे हुआ यह ऑपरेशन?

एडवांस ड्रोन का उपयोग: भारतीय सेना ने उच्च ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन का उपयोग किया, जो लंबी दूरी तक निगरानी और सटीक हमले करने में सक्षम हैं। ऐसा माना जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कामिकेज ड्रोन का इस्तेमाल किया। इन्हें लॉइटरिंग म्यूनिशन के रूप में भी जाना जाता है। DRDO और निजी कंपनियां ने स्वदेशी कामिकेज ड्रोन विकसित किए हैं, जिनमें ALFA-S और Harop शामिल हैं। इजरायल द्वारा विकसित Harop एक "आत्मघाती ड्रोन" है, जिसे भारत ने अपने रक्षा अभियानों के लिए खरीदा था। ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों, जैसे रडार या बख्तरबंद वाहनों, पर सटीक हमले करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, Aero India 2025 में प्रदर्शित CATS Warrior और अन्य प्रोटोटाइप भारत की इस दिशा में बढ़ती क्षमता को दर्शाते हैं। भारत ने हाल ही में ADITI 2.0 के तहत कामिकेज ड्रोन टेक्नोलॉजी को और विकसित करने के लिए चैलेंज भी शुरू किए हैं, जिससे भविष्य में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि भारत ने कौन सा ड्रोन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल किया। लेकिन इतना स्पष्ट है कि उस ड्रोन ने पाकिस्तान की रडार में आए बिना अपने लक्ष्यों को बहुत ही कुशलता के साथ नष्ट कर दिया।

प्रेसिजन स्ट्राइक: हेलफायर मिसाइलों और लेजर-गाइडेड बमों का उपयोग कर आतंकी ठिकानों को पिनपॉइंट सटीकता के साथ नष्ट किया गया।

खुफिया जानकारी: भारतीय खुफिया एजेंसियों ने रियल-टाइम इंटेलिजेंस प्रदान किया, जिसके आधार पर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।

प्रधानमंत्री की निगरानी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऑपरेशन पर सीधे नजर रखी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कितनी महत्वपूर्ण थी।

इस ऑपरेशन ने न केवल भारत की सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर पूरी तरह अमल कर रहा है।

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन: अभी तो और बढ़ेगी भारत की ताकत

भारत ने 2024 में अमेरिका के साथ 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए 32,000 करोड़ रुपये (लगभग 3.5 बिलियन डॉलर) की मेगा डील पर हस्ताक्षर किए थे। यह सौदा भारत की ड्रोन युद्ध क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाला है। भारत को जनवरी 2029 से अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन मिलने शुरू हो जाएंगे और सभी डिलीवरी अक्टूबर 2030 तक पूरी होने की उम्मीद है।

MQ-9B ड्रोन को कई नामों से जाना जाता है। आधिकारिक तौर पर इसे MQ-9B रीपर कहा जाता है, लेकिन इसके समुद्री निगरानी वेरिएंट को सी गार्जियन और हंटर-किलर के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, इसे प्रीडेटर बी भी कहा जाता है, क्योंकि यह मूल MQ-9 रीपर का एडवांस वर्जन है। इसे स्काई गार्जियन भी कहा जाता है। भारत को मिलने वाले सी गार्जियन और स्काई गार्जियन वेरिएंट सहित ड्रोन को भारतीय नौसेना, सेना और वायु सेना द्वारा तैनात किया जाएगा। आइए, समझते हैं कि MQ-9B ड्रोन भारत के लिए इतना खास क्यों है और यह कैसे देश की रक्षा ताकत को मजबूत करेगा।

MQ-9B की खासियतें

उच्च ऊंचाई, लंबी उड़ान: MQ-9B ड्रोन 40,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर उड़ सकता है और एक बार में 35-40 घंटे तक हवा में रह सकता है। यह इसे लंबी दूरी की निगरानी और हमले के लिए आदर्श बनाता है। इसकी रेंज 1,900 किलोमीटर है, जो भारत को हिंद महासागर से लेकर हिमालयी सीमाओं तक निगरानी करने की क्षमता देता है।

हंटर-किलर क्षमता: MQ-9B को "हंटर-किलर" ड्रोन कहा जाता है, क्योंकि यह न केवल निगरानी करता है, बल्कि सटीक हमले भी कर सकता है। यह चार हेलफायर मिसाइलें और 450-2,177 किलोग्राम तक के बम ले जा सकता है, जिसमें GBU-39B लेजर-गाइडेड बम शामिल हैं। अमेरिका ने 2022 में अल-कायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी को काबुल में इसी ड्रोन से मार गिराया था, जो इसकी घातकता का सबूत है।

मल्टी-मिशन क्षमता: यह ड्रोन समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध, जमीनी हमले, और खुफिया जानकारी जुटाने में सक्षम है। भारतीय नौसेना ने 2020 से MQ-9B सी गार्जियन ड्रोन को लीज पर इस्तेमाल किया है, जो हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करता है।

सबसे एडवांस है तकनीक: इसमें लेजर-गाइडेड मिसाइलें, एंटी-टैंक मिसाइलें, और एंटी-शिप मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। यह 161 एम्बेडेड GPS और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और 35 L3 रियो ग्रांडे सेंसर सूट से लैस है, जो इसे ट्रैक करना मुश्किल बनाता है।

भारत के लिए MQ-9B क्यों है खास?

चीन और पाकिस्तान पर नजर: ये ड्रोन भारत को लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, और हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों पर रियल-टाइम निगरानी करने की क्षमता देंगे। खास तौर पर, चीन के काय होंग-4 और विंग लूंग-II ड्रोनों की तुलना में MQ-9B कहीं अधिक उन्नत है।

नौसेना की ताकत: 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को मिलेंगे, जो चेन्नई और पोरबंदर जैसे ठिकानों से समुद्री निगरानी करेंगे।

सेना और वायुसेना: खबरों की मानें तो 8-8 ड्रोन सेना और वायुसेना को मिलेंगे, जो गोरखपुर और सरसावा एयरबेस से LAC और LoC पर नजर रखेंगे।

स्वदेशीकरण: इस डील के तहत, 21 ड्रोन भारत में असेंबल किए जाएंगे। जनरल एटॉमिक्स भारत में MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर, और ओवरहॉल) सुविधा स्थापित करेगा, जिसमें 34% कंपोनेंट भारतीय कंपनियों से खरीदे जाएंगे। यह भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता को बढ़ावा देगा।

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ड्रोन डील का रणनीतिक प्रभाव

चीन और पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में ड्रोन तकनीक में निवेश बढ़ाया है। पाकिस्तान ने चीन से 16 CH-4 ड्रोन मांगे हैं, जबकि उसके पास पहले से ही 10 ऐसे ड्रोन हैं। MQ-9B की तैनाती से भारत को इन दोनों देशों की सैन्य गतिविधियों पर बढ़त मिलेगी। यह ड्रोन "डेटरेंस बाय डिटेक्शन" रणनीति को बढ़ावा देगा, जिससे संभावित संघर्षों को रोका जा सकेगा। इस सौदे से भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती मिलेगी, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में, जहां चीन की बढ़ती आक्रामकता एक चुनौती बनी हुई है। MQ-9B ड्रोन भारत को इस क्षेत्र में निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता प्रदान करेंगे। यह सौदा विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) प्रणाली के तहत हुआ है, जो दोनों देशों के बीच भरोसे का प्रतीक है।

पूरे इलाके में और बढ़ेगा भारत का दबदबा

ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों ने यह साबित किया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में सक्षम है। MQ-9B ड्रोन की तैनाती से भारत की यह क्षमता और बढ़ेगी, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। इजरायल जैसे सहयोगी देशों ने ऑपरेशन सिंदूर को भारत के स्व-रक्षा अधिकार के समर्थन के रूप में देखा, जिससे भारत की वैश्विक छवि मजबूत हुई।

भारत का ड्रोन वॉर वाला भविष्य

MQ-9B ड्रोन की डिलीवरी 2029 से शुरू होगी और 2030 तक पूरी हो जाएगी। इसके अलावा, भारत अपनी स्वदेशी ड्रोन तकनीक को भी विकसित कर रहा है। एयरो इंडिया 2025 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने CATS वॉरियर ड्रोन का प्रोटोटाइप प्रदर्शित किया, जो भविष्य में भारतीय सेना का हिस्सा हो सकता है। रक्षा मंत्रालय ने AI, क्वांटम प्रौद्योगिकी, और एंटी-ड्रोन सिस्टम जैसे क्षेत्रों में 19 नए चैलेंज प्रस्तुत किए हैं, जो भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेंगे। भारत ने हाल ही में रूस से 260 करोड़ रुपये की मिसाइल डील भी की है, जो ड्रोन युद्ध के साथ पारंपरिक हथियारों को भी मजबूत करेगी।

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