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गले तक कर्ज, फटेहाल अर्थव्यवस्था, IMF ने गिराई पाक की रेटिंग; भारत से कितना पीछे पड़ोसी

  • भारत और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति की तुलना करें तो हुए यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी मजबूत आर्थिक वृद्धि के साथ वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी है। जबकि पाकिस्तान आर्थिक चुनौतियों से जूझता हुआ भारत से काफी पीछे दिखाई दे रहा है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSat, 18 Jan 2025 09:52 PM
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गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है। भारत के साथ आजाद हुए पाकिस्तान को 75 साल से भी अधिक हो गए हैं, लेकिन वह अपना गुजारा करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। पाकिस्तान आए दिनों अपने अजीज दोस्त चीन या फिर सऊदी अरब से कर्ज मांगता फिरता है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के सामने पाकिस्तान अक्सर अपना भीख का कटोरा फैलाए ही हुए रहता है। पाकिस्तान की इस दयनीय स्थिति को देखते हुए आईएमएफ ने उसकी आर्थिक वृद्धि दर घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया है, पहले यह अनुमान 3.5 प्रतिशत का था। वहीं आईएमएफ ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत आंकी है। भारत और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति की तुलना करें तो हुए यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी मजबूत आर्थिक वृद्धि के साथ वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी है, जबकि पाकिस्तान आर्थिक चुनौतियों से जूझता हुआ भारत से काफी पीछे दिखाई दे रहा है।

भारत की अर्थव्यवस्था ने दुनियाभर में बजाया डंका

आईएमएफ और विश्व बैंक दोनों ने भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। आईएमएफ ने 2025 और 2026 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% रहने की उम्मीद जताई है, जबकि विश्व बैंक ने इसे 6.7% तक बढ़ाया है। यह वृद्धि दर भारत को विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है। भारत के सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों में सुधार के लिए सरकार की पहल इस वृद्धि को और अधिक सुदृढ़ कर रहे हैं, जिसमें लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास और कर सुधार पर जोर दिया गया है।

पाकिस्तान के लिए बेहद मुश्किल है डगर

वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति आईएमएफ और एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) दोनों के अनुसार चिंताजनक है। आईएमएफ ने पाकिस्तान की 2025 की जीडीपी वृद्धि दर को घटाकर 3% कर दिया है, जो पहले 3.2% अनुमानित थी। 2026 में भी पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि दर 4% रहने की उम्मीद है। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि पाकिस्तान आर्थिक कठिनाइयों में फंसा हुआ है, जिनमें कमजोर औद्योगिक गतिविधि, वित्तीय अस्थिरता और राजनीतिक अनिश्चितता प्रमुख कारण हैं।

जहां भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है, वहीं पाकिस्तान आर्थिक चुनौतियों के कारण पिछड़ता नजर आ रहा है। भारत न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। पाकिस्तान की तुलना में भारत की आर्थिक वृद्धि, स्थिरता और सुधार की दिशा में उठाए गए कदम इसे एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा रहे हैं।

पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति और लगातार गिरते विकास दर के साथ, यह स्पष्ट है कि वह भारत से आर्थिक रूप से काफी पीछे है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका और पाकिस्तान की घटती स्थिति यह दर्शाती है कि आर्थिक मोर्चे पर भारत अपने पड़ोसी देश से कितनी अधिक बढ़त बनाए हुए है। ऐसे में भारत का विकास पथ जहां एक ओर उम्मीद और संभावनाओं से भरा हुआ है, वहीं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अस्थिरता और चुनौतियों से जूझती हुई नजर आ रही है। यह अंतर भारत की वैश्विक आर्थिक सफलता और पाकिस्तान की आर्थिक असफलता के बीच की खाई को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

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