श्रीनगर की वीरान सड़कों पर हुआ था मेरा स्वागत, 370 हटने से बदले हालात; उपराष्ट्रपति धनखड़ ने साधा निशाना
- इससे पहले उपराष्ट्रपति ने इस बदलाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को नागरिकों से आग्रह करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रवाद से समझौता नहीं करना चाहिए और जो ऐसा करता है तो यह "राष्ट्र के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात" होगा। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सैनिक स्कूल के उद्घाटन के अवसर पर अपने मुख्य भाषण के दौरान धनखड़ ने कहा, "जहां भी कोई राष्ट्र की अखंडता को खतरा पहुंचाता है, हमें उसे बर्दाश्त नहीं करना चाहिए...आज वैचारिक दृढ़ता, मूल विचारों की शुद्धता और राष्ट्रीय भावना के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है।" इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 का भी जिक्र किया।
धनखड़ ने कहा, “1990 में जब मैं मंत्री की हैसियत से कश्मीर गया था, तब श्रीनगर की वीरान सड़कों ने मेरा स्वागत किया था। अब पिछले दो-तीन वर्षों में कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है और दो करोड़ से ज्यादा पर्यटक कश्मीर की यात्रा कर चुके हैं।” उन्होंने कहा, “संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद-370 को अस्थायी बताया था, लेकिन कुछ लोगों ने गलती से इसे स्थायी मान लिया। आज के समय में ही अनुच्छेद-370 को हटाया गया। यह आज का भारत है।” धनखड़ ने यह भी कहा, “अगर हम राष्ट्रवाद से समझौता करते हैं, तो यह देश के साथ विश्वासघात होगा। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उन्हें यह समझाना जरूरी है।” उन्होंने कहा, “मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे हवन में अपनी आहुति (योगदान) दें। समय आ गया है कि हमें देश के लिए जो करना चाहिए, हम वह करें। हम जितना भी करेंगे, वह कम होगा।”
इससे पहले उपराष्ट्रपति ने इस बदलाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दुनिया में भारत की एक अलग और सशक्त पहचान बनी है, जिसमें उत्तर प्रदेश का गुणात्मक योगदान है। धनखड़ ने 2047 में ‘विकसित भारत’ की संकल्पना को लेकर जारी अभियान में सभी से योगदान देने की अपील की। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के हवन में हरेक व्यक्ति को आहुति देनी चाहिए, क्योंकि हम देश के लिए जितना भी कर सकें, उतना कम है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि 680 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के साथ भारत उन दिनों से बहुत आगे निकल आया है, जब उसे वित्तीय संकट से उबरने के लिए अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था।
धनखड़ ने उत्तर प्रदेश में योगी के नेतृत्व में आए परिवर्तन का जिक्र करते हुए कहा कि 2017 के बाद राज्य में शिक्षा, चिकित्सा, उद्यमिता और अन्य क्षेत्रों में गुणात्मक वृद्धि हुई है, जबकि 2017 के पहले उत्तर प्रदेश डर के साये में था, यहां कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं थी और आम आदमी परेशान रहता था। उन्होंने कहा, “आज का भारत 10 साल पहले की तुलना में पूरी तरह से अलग तस्वीर पेश करता है। एक समय था, जब ‘सोने की चिड़िया’ कहलाने वाले भारत को विदेशी बैंकों में सोना गिरवी रखना पड़ा था। उस समय हमारा विदेशी मुद्रा भंडार एक अरब से दो अरब अमेरिकी डॉलर के बीच था। आज यह करीब 680 अरब अमेरिकी डॉलर है। देखिए, हमने तब से कितनी प्रगति की है।”