मैं भी NCC कैडेट था, 'मन की बात' में पीएम मोदी ने याद किए पुराने दिन; युवा दिवस को लेकर यह ऐलान
- प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान अपने स्कूल-कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा कि वह भी कभी एनसीसी कैडेट थे। उन्होंने कहा, मुझे जो अनुभव मिला वह अमूल्य है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 116वें 'मन की बात' रेडियो कार्यक्रम में एनसीसी डे की शुभकामनाएं देते हुए अपने पुराने दिनों को याद किया। उन्होंने कहा कि एक एनसीसी कैडेट होते हुए उन्हें अुशासन और लीडरशिप की जानकारी मिली थी। उन्होंने कहा, ‘मैं स्वयं एनसीसी कैडेट रहा हूं, इसलिए मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इससे मुझे जो अनुभव मिला वह मेरे लिए अमूल्य है। एनसीसी युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है।’
पीएम मोदी ने कहा कि 11-12 जनवरी को दिल्ली में ‘विकसित भारत युवा नेता संवाद’ कार्य्रकम आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पहल उन युवाओं को राजनीति से जोड़ने के प्रयासों का हिस्सा है जिनकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती बहुत ही विशेष तरीके से मनाई जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने लाल किले की प्राचीर से ऐसे युवाओं से राजनीति में आने की अपील की जिनके परिवार की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है। ऐसे एक लाख युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए देश में कई विशेष अभियान चलाए जाएंगे। विकसित भारत युवा नेता संवाद ऐसी ही एक पहल है।’ अपने रेडियो कार्यक्रम के दौरान मोदी ने लोगों से उन प्रवासी भारतीयों की प्रेरक कहानियों का जश्न मनाने का भी आह्वान किया, जिन्होंने विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ी, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया और ‘‘हमारी विरासत’’ को संरक्षित किया।
उन्होंने कहा, ‘ऐसी कहानियों को ‘प्रवासी भारतीय कहानियां’ हैशटैग के साथ ‘नमो ऐप’ या ‘माईजीओवी’ पर साझा करें।’ मोदी ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने में भारत की ‘युवा शक्ति’ की करुणा और ऊर्जा सराहनीय है। इस संदर्भ में उन्होंने लखनऊ के एक युवा का उदाहरण दिया जो जीवन प्रमाणपत्र डिजिटल माध्यम से जमा करने में बुजुर्गों की मदद करता है।
सरकारी कार्यालयों में आये बदलाव पर खुशी जाहिर करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “आपने देखा होगा, जैसे ही कोई कहता है ‘सरकारी दफ्तर’ तो आपके मन में फाइलों के ढ़ेर की तस्वीर बन जाती है । आपने फिल्मों में भी ऐसा ही कुछ देखा होगा। सरकारी दफ्तरों में इन फाइलों के ढ़ेर पर कितने ही मजाक बनते रहते हैं, कितनी ही कहानियां लिखी जा चुकी हैं। बरसों-बरस तक ये फाइलें ऑफिस में पड़े-पड़े धूल से भर जाती थीं, वहां, गंदगी होने लगती थी - ऐसी दशकों पुरानी फाइलों और कबाड़ को हटाने के लिए एक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया। आपको ये जानकर खुशी होगी कि सरकारी विभागों में इस अभियान के अद्भुत परिणाम सामने आए हैं। साफ-सफाई से दफ्तरों में काफी जगह खाली हो गई है। इससे दफ्तर में काम करने वालों में एक स्वदायित्व का भाव भी आया है। अपने काम करने की जगह को स्वच्छ रखने की गंभीरता भी उनमें आई है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आपने अक्सर बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा, कि जहां स्वच्छता होती है, वहां, लक्ष्मी जी का वास होता है । हमारे यहाँ ‘कचरे से कंचन’ का विचार बहुत पुराना है। देश के कई हिस्सों में ‘युवा’ बेकार समझी जाने वाली चीजों को लेकर, कचरे से कंचन बना रहे हैं । तरह-तरह के नवान्वेषण कर रहे हैं। इससे वो पैसे कमा रहे हैं, रोजगार के साधन विकसित कर रहे हैं। ये युवा अपने प्रयासों से टिकाऊ जीवनशैली को भी बढ़ावा दे रहे हैं । मुंबई की दो बेटियों का ये प्रयास, वाकई बहुत प्रेरक है । अक्षरा और प्रकृति नाम की ये दो बेटियाँ, कतरन से फैशन के सामान बना रही हैं । आप भी जानते हैं कपड़ों की कटाई-सिलाई के दौरान जो कतरन निकलती है, इसे बेकार समझकर फेंक दिया जाता है । अक्षरा और प्रकृति की टीम उन्हीं कपड़ों के कचरे को फैशन उत्पाद में बदलती है। कतरन से बनी टोपियां, बैग हाथों-हाथ बिक भी रही है।”
उन्होंने साफ-सफाई को लेकर उत्तर प्रदेश के कानपुर में जारी एक अच्छी पहल की जानकारी साझा करते हुए कहा कि कानपुर कुछ लोग रोज सुबह की सैर पर निकलते हैं और गंगा के घाटों पर फैले प्लास्टिक और अन्य कचरे को उठा लेते हैं। इस समूह को ‘कानपुर प्लॉगर्स ग्रुप’ नाम दिया गया है। इस मुहिम की शुरुआत कुछ दोस्तों ने मिलकर की थी। धीरे-धीरे ये जन भागीदारी का बड़ा अभियान बन गया। शहर के कई लोग इसके साथ जुड़ गए हैं। इसके सदस्य, अब, दुकानों और घरों से भी कचरा उठाने लगे हैं। इस कचरे से रिसाइकिल संयंत्र में ट्री गार्ड तैयार किए जाते हैं, यानि, इस ग्रुप के लोग कचरे से बने ट्री गार्ड से पौधों की सुरक्षा भी करते हैं।
उन्होंने एक और उदारण देते हुए कहा, “छोटे-छोटे प्रयासों से कैसी बड़ी सफलता मिलती है, इसका एक उदाहरण असम की इतिशा भी है। इतिशा की पढ़ाई-लिखाई दिल्ली और पुणे में हुई है। इतिशा कारपोरेट दुनिया की चमक-दमक छोड़कर अरुणाचल की सांगती घाटी को साफ बनाने में जुटी हैं। पर्यटकों की वजह से वहां काफी प्लास्टिक कचरा जमा होने लगा था। वहां की नदी जो कभी साफ थी वो प्लास्टिक कचरे की वजह से प्रदूषित हो गई थी। इसे साफ करने के लिए इतिशा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है। उनके ग्रुप के लोग वहां आने वाले सैलानियों को जागरूक करते हैं और प्लास्टिक कचरे को जमा करने के लिए पूरी घाटी में बांस से बने कूड़ेदान लगाते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रयासों से भारत के स्वच्छता अभियान को गति मिलती है। ये निरंतर चलते रहने वाला अभियान है। उन्होंने लोगों से अपील की कि उनके परिवेश में आस-पास भी ऐसा जरूर होता ही होगा। अत: वे ऐसे प्रयासों के बारे में उन्हें जरूर लिखते रहें।