नौ नकद, ना तेरह उधार; महाराष्ट्र से झारखंड तक कैश स्कीमों पर जनता का भरोसा, वादे खारिज
- भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी को मिली इस बंपर जीत के पीछे लड़की बहिन योजना को वजह माना जा रहा है। राज्य सरकार ने चुनाव से कुछ महीने पहले ही इस स्कीम का ऐलान किया था। इसके तहत महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपये दिए जाते हैं।
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों ने देश के दोनों बड़े गठबंधनों को खुश होने की वजह दी है। एक तरफ भाजपा की लीडरशिप वाले NDA को महाराष्ट्र में बंपर जीत मिली है तो वहीं झारखंड में कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDI अलायंस को स्पष्ट बहुमत मिला है। इस तरह दोनों ही जगह अब तक चली आ रही सरकारों को ही लोगों ने कायम रखा है। महाराष्ट्र में तो भाजपा की सुनामी ही चलती दिख रही है। अब तक राज्य में 127 सीटों पर भाजपा आगे चल रही है, जबकि 148 सीटों पर ही उसने कैंडिडेट उतारे थे। यह भाजपा की अब तक की सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले 2014 में महाराष्ट्र में भाजपा को 122 सीटें मिली थीं, लेकिन तब उसने 264 पर कैंडिडेट उतारे थे।
भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी को मिली इस बंपर जीत के पीछे लड़की बहिन योजना को वजह माना जा रहा है। राज्य सरकार ने चुनाव से कुछ महीने पहले ही इस स्कीम का ऐलान किया था। इसके तहत महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपये दिए जाते हैं। माना जाता है कि इस योजना ने ही महायुति के पक्ष में कमाल कर दिया, जिसे लोकसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। यही नहीं दोनों राज्यों का ट्रेंड दिखाता है कि लोगों ने पहले से चल रही योजनाओं पर ही भरोसा जताया। इनके मुकाबले लोगों ने विपक्षी दलों के वादों को खारिज कर दिया।
महाराष्ट्र में अब तक एकनाथ शिंदे सरकार में 1500 रुपये प्रति माह महिलाओं को मिल रहे थे। इसके बाद जब महायुति का घोषणा पत्र जारी किया गया को इस रकम को बढ़ाकर 2100 रुपये करने का वादा किया गया। महा विकास अघाड़ी ने बाद में मेनिफेस्टो जारी करते हुए 3000 रुपये तक का ऐलान कर दिया था, लेकिन जनता ने मिलती हुई रकम पर ही भरोसा जताया। कांग्रेस लीडर पृथ्वीराज चव्हाण ने भी माना है कि भाजपा और उसके साथी दलों को इस स्कीम का फायदा मिला है।
इसी तरह झारखंड में भी झामुमो सरकार को मिली जीत के पीछे मंईयां सम्मान योजना को वजह माना जा रहा है। हेमंत सोरेन सरकार ने इस स्कीम का ऐलान जब किया था तो 1000 रुपये की रकम का वादा हुआ था। अब तक यह 1000 रुपये ही थी, लेकिन जब भाजा ने 2100 का वादा किया तो हेमंत कैबिनेट ने 2500 रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। शायद यही वजह रही कि लोगों ने हेमंत सरकार की योजना पर भरोसा किया और भाजपा के वादे की बजाय चलती हुई स्कीम के साथ ही गए। इस तरह कहा जा सकता है कि जनता ने नौ नकद, ना तेरह उधार पर यकीन किया।