पहलगाम में 40 जिंदगियों का रखवाला बन गया सेना का जवान, यूं बचा ली लोगों की जान
पहलगाम आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। वहीं एक सेना का अधिकारी कम से कम 40 जिंदगियों का रखवाला बन गया। स्थिति देखते ही उन्होंने ऐसा गाइड किया कि लोगों की जान बच गई।

पहलगाम में हिंदुओं को टारगेट करके हमला किया। हालांकि कई लोग इस नरसंहार में खुद को बचाने में कामयाब हो गए। पहलगाम आतंकी हमले से बचने वालों में मैूसूर के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी हैं। प्रसन्न कुमार भट भी जम्मू-कश्मीर की सुंदरता देखने गए थे। लेकिन वहां जो कुछ हुआ उसे देखकर उन्होंने कहा, इस तरह का भयावह हमला स्वर्ग में खून बहाने जैसा है।
भट ने सोशल मीडिया पर कहा कि वह अपने आर्मी ऑफिसर भाई के साथ जम्मू-कश्मीर घूमने निकले थे। उन्होंने कहा कि उनके भाई ने कम से कम 35-40 लोगों की जान बचा ली। भट ने बताया कि वह अपने भाई, भाभी और पत्नी के साथ पहलगाम घूमने गए थे। वे दोपहर करीब 12.30 बजे पहलगाम पहुंच गए। पोनी राइड लेकर वह करीब 1 बजकर 35 मिनट पर बैसरन पहुंच गए।
उन्होंने कहा, हम बैसरन पहुंचने के बाद इंजॉय करने लगे। एक कैफे में चाय पी और प्रकृति की सुंदरता देखने लगे। दो बजे के करीब हमारा परिवार फोटो लेने के लिए निकला। संयोगवश हम गेट की उलटी दिशा में घूमते-घूमते चले गए। कुछ मिनट बाद ही दो बारगोलियों की आवाज सुनाई दी। तब करीब 2 बजकर 25 मिनट हुआ था। इसके बाद कुछ देर तक एकदम शांति रही। वहां बच्चे तब भी खेल रहे थे।
गोली की आवाज सुनने के बाद भट का परिवार पीछे की ओर बढ़ गया और मोबाइल टॉइलट के पास पहुंच गया। हमने देखा के जमीन पर कई लोग गिर गए हैं। उन्होंने कहा, मेरा भाई समझ गया कि आतंकी हमला हुआ है। थोड़ी ही देर में अफरा-तफरी मच गई । लोग इधर-उधर भाग रहे थे और चिल्ला रहे थे। उन्होंने कहा कि चारों ओर तारबंदी थी इसलिए भागना भी मुश्किल था। लोग निकलने के लिए मेन गेट की तरफ भाग रहे थे और आतंकी वहीं लोगों का इंतजार कर रहे थे। ऐसा लगा जैसे भेड़ खुद भागकर शेर के पास जा रही है।
उन्होंने कहा, आतंकी हमारी ही ओर बढ़ रहे थे लेकिन हमने देखा की पास में ही तार के नीचे से नाले की पाइप है। ज्यादातर लोग तार के किनारे-किनारे भाग रहे थे। मेरा भाई और भाभी मोबाइल टॉइलट के पीछे छिप गए। उन्होंने लोगों को चुप करवाया। वे समझ गए कि एंट्री गेट पर गोलियां चल रही हैं। उन्होंने वहां मौजूद 30 से 35 लोगों को उलटी दिशा की ओर जाने को कहा।
उन्होंने बताया, भाई ने लोगों से कहा कि तार के नीचे से होकर नीचे की ओर चलें। वहां पानी बहने की वजह से फिसलन थी। ऐसे में लोग फिसल-फिसलकर नीचे की ओर जाने लगे। प्रसन्न कुमार भट ने कहा कि स्थिति बहुत ही भायावह थी। इसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता है। वहां मोबाइल नेटवर्क मिल गया था। इसके बाद प्रसन्न के भाई ने पहलगाम की यूनिट और श्रीनगर हेडक्वार्टर में हमले की जानकारी दी।
उन्होंने कहा, हम सब लोग एक गड्ढे में पहुंच गए थे। घाटी गोलियों की आवाज से गूंज उठी। हम समझ नहीं पा रहे थे कि गड्ढे में ही छिपे रहें या फिर बाहर निकलें। डर लग रहा था कि बाहर निकले तो मार दिए जाएंगे। इसके बाद 3 बजकर 40 मिनट पर हेलिकॉप्टल की आवाज सुनाई दी। इसके बाद सेना और पुलिस के जवान पहुंच गए। उन्होंने हमें बाहर निकाला। हम बहुत डर गए थे। हमने देखा कि लोग खुन से लथपथ पड़े थे। उनके कानों में गोलियों की आवाजें और लोगों की चीखें गूंज रही थीं। प्रसन्न कुमार भट परिवार के साथ सुरक्षित मैसूर लौट गए हैं।