बुजुर्ग इंजीनियर को बिना पकड़े 19 दिन तक बनाए रखा 'बंधक', ठगे 10 करोड़; आखिर क्या है ये डिजिटल अरेस्ट?
- डिजिटल अरेस्ट एक नई प्रकार की साइबर ठगी है, जिसमें ठग किसी व्यक्ति को मानसिक और डिजिटल रूप से बंधक बनाने का प्रयास करते हैं। विस्तार से जानिए कैसे बचें।
एक 77 वर्षीय रिटायर इंजीनियर ने डिजिटल धोखाधड़ी के शिकार होने के बाद अपनी पूरी जमा पूंजी गवां दी। पीड़ित ने बताया कि यह धोखाधड़ी उनके साथ 25 सितंबर से 14 अक्टूबर के बीच हुई, जिसमें उन्हें मानसिक रूप से बंधक बनाकर उनके बैंक खातों से 10.3 करोड़ रुपये की रकम तीन बार में ट्रांसफर कराई गई।
बुजुर्ग ने बताया कि यह मामला एक फोन कॉल से शुरू हुआ, जिसमें कॉलर ने दावा किया कि उनकी आधार कार्ड जानकारी का इस्तेमाल करते हुए मुंबई से चीन भेजा गया एक पार्सल लौट आया है। जब उन्होंने पार्सल भेजने से इनकार किया, तो उन्हें एक वीडियो कॉल के जरिए मुंबई पुलिस के कथित अधिकारी से कनेक्ट किया गया।
धोखाधड़ी का तरीका
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति ने मुंबई पुलिस के प्रतीक चिन्ह के सामने बैठकर खुद को पुलिस अधिकारी बताया। उसने बुजुर्ग को यह विश्वास दिलाया कि उनके आधार कार्ड का दुरुपयोग हुआ है और इसे सत्यापित करने के लिए उनकी बैंक डिटेल चाहिए। बाद में, कॉल को एक अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर किया गया, जिसने खुद को वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी बताया।
कथित सीबीआई अधिकारी ने बुजुर्ग से कहा कि वे मामले को गोपनीय रखें और किसी को न बताएं, यहां तक कि अपने परिवार को भी नहीं। उन्हें कई दस्तावेज दिखाए गए, जिसमें एक कथित आधार कार्ड जानकारी और एक आदेश था जिसमें देश छोड़ने पर रोक लगाई गई थी। पीड़ित ने कहा, “उन्होंने मुझे डराया कि मेरा फोन सर्विलांस पर है और मेरे बच्चों पर भी कार्रवाई हो सकती है। मुझे विश्वास दिलाया गया कि यह जांच चल रही है और मैं किसी से बात नहीं कर सकता।”
25 सितंबर से 14 अक्टूबर तक, पीड़ित से तीन बार में 10.3 करोड़ रुपये ट्रांसफर कराए गए। 14 अक्टूबर को, ठगों ने उनके भाई का नाम घसीटा, जिसके बाद वे अपने भाई से मिलने गए। उनके भाई ने उन्हें यह एहसास दिलाया कि वे धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं।
पुलिस में शिकायत दर्ज
इसके बाद, पीड़ित ने रोहिणी साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि घटना के बारे में बात करने में भी डर लगा, क्योंकि ठगों ने उनके परिवार को भी नुकसान पहुंचाने की धमकी दी थी। फिलहाल, दिल्ली पुलिस की IFSO इकाई मामले की जांच कर रही है, लेकिन अभी तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। साइबर सेल ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान कॉल्स पर भरोसा न करें और अपनी निजी जानकारी साझा करने से बचें। यह घटना डिजिटल ठगी के बढ़ते मामलों की गंभीरता को दर्शाती है।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक नई प्रकार की साइबर ठगी है, जिसमें ठग किसी व्यक्ति को मानसिक और डिजिटल रूप से बंधक बनाने का प्रयास करते हैं। इसमें ठग झूठे दावे करते हैं, जैसे कि कोई कानूनी मामला दर्ज होना, मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाना, या आपके आधार कार्ड और बैंक डिटेल्स के गलत इस्तेमाल की शिकायत। वे अपने आपको पुलिस, सीबीआई, या किसी अन्य सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर डर पैदा करते हैं और पीड़ित को अपनी बातों में फंसा लेते हैं।
इस प्रक्रिया में ठग क्या करते हैं?
- वीडियो कॉल या नकली दस्तावेज दिखाकर पीड़ित को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं।
- पीड़ित से उनकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी मांगते हैं।
- पैसे ट्रांसफर करने या बैंक खाते की डिटेल देने के लिए दबाव डालते हैं।
- घटना को गोपनीय रखने और किसी से भी चर्चा न करने की चेतावनी देते हैं।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?
डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अपराधों से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतें:
1. अनजान कॉल और मैसेज से सावधान रहें:
किसी भी अनजान नंबर से आए कॉल या मैसेज का तुरंत जवाब न दें।
कॉल करने वाले की पहचान की पुष्टि किए बिना कोई जानकारी साझा न करें।
2. सरकारी एजेंसियों की पहचान जांचें:
यदि कोई खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताता है, तो उसकी पहचान जांचें।
संबंधित एजेंसी की आधिकारिक वेबसाइट से उनके नंबर पर कॉल करके जानकारी सत्यापित करें।
3. निजी जानकारी गोपनीय रखें:
आधार, पैन कार्ड, बैंक खाते और पासवर्ड जैसी निजी जानकारी साझा न करें।
अगर कोई व्यक्ति बैंक खाते की जानकारी मांगता है, तो सतर्क रहें।
4. नकली दस्तावेज़ों पर विश्वास न करें:
ठग अक्सर नकली आदेश पत्र, आधार कार्ड जानकारी, या फर्जी वॉरंट दिखाते हैं। ऐसे दस्तावेज़ों की सच्चाई की जांच करें।
5. दूसरों से सलाह लें:
यदि कोई व्यक्ति गोपनीयता बनाए रखने की शर्त रखता है, तो सतर्क रहें।
परिवार के किसी सदस्य, मित्र, या वकील से चर्चा करें।
6. साइबर सेल से संपर्क करें:
किसी भी संदिग्ध कॉल या गतिविधि के बारे में तुरंत साइबर पुलिस को सूचित करें।
साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें।
7. ऑनलाइन गतिविधियों को सुरक्षित रखें:
मोबाइल या लैपटॉप में एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर रखें।
पासवर्ड को मजबूत और गोपनीय रखें।
अगर धोखाधड़ी हो जाए तो क्या करें?
तुरंत अपनी बैंक शाखा और साइबर सेल को जानकारी दें।
सभी लेन-देन को ब्लॉक करें।
पुलिस में शिकायत दर्ज करें।
मानसिक रूप से शांत रहें और समस्या को हल करने के लिए सही कदम उठाएं।
डिजिटल अरेस्ट जैसे साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण है। याद रखें, कोई भी सरकारी एजेंसी फोन कॉल पर निजी जानकारी नहीं मांगती।