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बांग्लादेश में हैं भाजपा कैंडिडेट के पिता, आरोपों पर हिमंत बिस्वा बोले- खतरे में पड़ जाएंगे बंगाली हिंदू

  • असम में धोलाई विधानसभा से भाजपा कैंडिडेट निहार रंजन दास के पिता बांग्लादेश में वर्षों से रह रहे हैं। वह खुद 1971 में भारत आए थे। कांग्रेस के बाहरी होने के आरोपों पर अब सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने जवाब दिया है।

Gaurav Kala सिलचर, बिस्वा कल्याण पुरकायस्थ, हिन्दुस्तान टाइम्सTue, 5 Nov 2024 05:48 PM
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असम में आगामी 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव से पहले एनआरसी और बांग्लादेश का मुद्दा खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने भाजपा कैंडिडेट पर बाहरी होने का आरोप लगाया है। धोलाई विधानसभा से भाजपा कैंडिडेट निहार रंजन दास के पिता बांग्लादेश में वर्षों से रह रहे हैं। वह खुद 1971 में भारत आए थे। कांग्रेस के आरोपों के जवाब में सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि कांग्रेस निहार रंजन की भारतीय नागरिकता पर सवाल उठाकर बंगाली हिंदुओं को खतरे में डालने का प्रयास कर रही है। यह उनकी साजिश का हिस्सा है। हालांकि यह मुद्दा सबसे पहले भाजपा के ही नेता ने उठाया था और लोकल की अनदेखी करके बाहरी को टिकट देने का आरोप लगाकर पार्टी से बगावत कर ली थी।

कांग्रेस की केंद्रीय समिति के महासचिव जितेंद्र सिंह ने कहा था कि भाजपा को जवाब देना होगा कि उन्होंने ऐसे व्यक्ति को कैसे उम्मीदवार बनाया, जिसके पिता अभी भी बांग्लादेश में रहते हैं। सिंह ने कहा, "यह आरोप भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने लगाया है और मुझे उम्मीद है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा इसका जवाब देंगे।"

खतरे में पड़ जाएंगे बंगाली हिंदू

सरमा ने मंगलवार को धोलाई के दौरे के दौरान कहा कि कांग्रेस पार्टी यह सवाल उठाकर बंगाली हिंदुओं को खतरे में डालना चाहती है। हमने इस मुद्दे को सुलझा लिया है जिससे यहां कई बंगाली हिंदुओं को राहत मिली है। लेकिन कांग्रेस गलत इरादे से इसे फिर से उठाना चाहती है।

भाजपा नेता ने ही उठाया था मुद्दा

निहार रंजन दास की नागरिकता को लेकर सबसे पहले सवाल बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमिय कांति दास ने ही उठाया था। वो उपचुनाव में टिकट न मिलने से पार्टी से नाराज चल रहे थे और उन्होंने पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया था। अमिय ने धोलाई से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया, लेकिन बाद में भाजपा नेताओं के साथ बैठक के बाद नामांकन वापस ले लिया। अमिय ने पिछले महीने एक बैठक के दौरान कहा था, "हमने निहार रंजन दास के माता-पिता को यहां कभी नहीं देखा। वह खुद एक बाहरी व्यक्ति हैं। हमारे पास सबूत है कि उनके माता-पिता दूसरे देश में रहते हैं। इस पृष्ठभूमि के व्यक्ति को हमारा प्रतिनिधित्व नहीं करना चाहिए।"

निहार के बचाव में क्या बोले सरमा

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने धोलाई में एक रैली में भाग लिया और नामांकन वापस लेने के लिए अमिय कांति दास की प्रशंसा की। सरमा ने कहा, "मैंने उन्हें फोन किया और वह इसे वापस लेने पर सहमत हो गए। हमें उनकी सराहना करनी चाहिए।" सरमा ने कहा, "हमने मामला सुलझा लिया है और अमिय अब हमारे साथ हैं। निहार कई सालों से यहां रह रहे हैं, उनका नाम एनआरसी में आया था और उन्होंने यहां 10वीं कक्षा की परीक्षा पास की थी। वह हमारे अपने हैं और हम उन्हें अच्छी तरह जानते हैं।"

नामांकन वापस लेने के लिए अमिय को क्या ऑफर

सूत्रों से पता चला कि अपना नामांकन वापस लेने से पहले अमिय को बड़ी रकम और पार्टी में एक पद की पेशकश की गई थी। हालांकि, उन्होंने इन दावों का खंडन किया और कहा कि वह आरएसएस की विचारधारा का पालन करते हैं और हिंदुओं की भलाई के लिए वह बीजेपी से सहमत हैं। एचटी से बात करते हुए अमिय ने कहा कि वह आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित हैं और 1989 से भाजपा के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि अगर निहार के माता-पिता बांग्लादेश में हैं, और वे अब भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं, तो वह उनका समर्थन करेंगे।

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