Hindi Newsदेश न्यूज़have more kids andhra pradesh CM Chandrababu naidu advice to people of state

अधिक बच्चे पैदा करें...इस मुख्यमंत्री ने दी लोगों को सलाह, इन्सेंटिव और छूट देने का प्लान

सीएम ने कहाकि इसके तहत विधेयक लाने के बारे में भी सोचा जा रहा है, जिसमें अधिक बच्चे वाले परिवारों को इन्सेंटिव दिया जाएगा। इतना ही नहीं, ऐसे परिवारों को कुछ मामलों में छूट भी मिलेगी।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, हैदराबादSun, 20 Oct 2024 07:12 AM
share Share

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य के निवासियों को अधिक बच्चे पैदा करने की सलाह दी है। नायडू ने प्रदेश में उम्रदराज लोगों की बढ़ती आबादी को देखते हुए यह सलाह दी है। उन्होंने शनिवार को कहाकि प्रदेश सरकार पॉपुलेशन मैनेजमेंट की योजना बना रही है। इसके तहत विधेयक लाने के बारे में भी सोचा जा रहा है, जिसमें अधिक बच्चे वाले परिवारों को इन्सेंटिव दिया जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं, एक ऐसा कानून बनाने पर भी विचार चल रहा है, जिसके तहत सिर्फ वही लोग स्थानीय निकाय चुनाव लड़ पाएंगे, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।

चंद्रबाबू नायडू ने कहाकि पहले हमने ऐसा कानून बनाया था जिसमें अधिक बच्चे वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते थे। लेकिन अब हमने उस कानून को खत्म कर दिया है और इसे रिवर्स करने की सोच रहे हैं। अधिक बच्चों वाले परिवारों को सरकार अधिक सुविधाएं देने के बारे में विचार कर रही है। नायडू ने कहाकि वैसे तो हमारे पास 2047 तक डेमोग्राफिक एडवांटेज है। लेकिन दक्षिणी राज्यों खासकर आंध्र प्रदेश में बढ़ती उम्र वालों की आबादी चिंता में डालने वाली बात है। उन्होंने कहाकि जापान, चीन समेत कुछ यूरोपीय देश भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। दक्षिण भारत में यह समस्या इसलिए हो रही है क्योंकि युवा लोग देश के दूसरे हिस्सों में या फिर विदेश चले जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने दक्षिणी राज्यों में गिरती प्रजनन दर पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहाकि यहां फर्टिलिटी रेट 1.6 परसेंट है जो राष्ट्रीय दर 2.1 से काफी कम है। अगर यही हाल रहा तो हमारे यहां 2047 तक बुजुर्गों की आबादी काफी ज्यादा हो जाएगी। उन्होंने कहाकि आंध्र प्रदेश ही नहीं, देश के कई गांवों में अब सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं। नायडू ने जनसंख्या नियंत्रण पर अपने पहले के प्रयासों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहाकि तब हालात कुछ और थे। तेजी से बढ़ती आबादी के चलते प्राकृतिक संसाधन खतरे में थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें